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AIIMS Delhi: रोबोटिक्स, AI और ड्रोन्स पर रिसर्च करेगा एम्स, मरीजों को बेहतर सुविधा देने की कोशिश

AIIMS दिल्ली में हर दिन 25000 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं. इन मरीजों के बेहतर इलाज और सुविधाएं मिलें, इसके लिए सरकार के साथ-साथ अब एम्स अस्पताल भी AI पर काम करने की कोशिश में है.

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सरकार हेल्थकेयर के लिए चकनीक के उपयोग पर ध्यान दे रही है. और इस बीच देश का टॉप टीचिंग अस्पताल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और रोबोटिक्स के साथ खुद को "अमृत काल में भविष्य के लिए तैयार" कर रहा है. AIIMS के निदेशक एम. श्रीनिवास ने अधिकारियों को हेल्थकेयर में एआई, ड्रोन और रोबोटिक्स के रिसर्च और एप्लिकेशन पर रणनीति विकसित करने का निर्देश दिया है.

इसका उद्देश्य मेडिकल सप्लाइज की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना है, जो अक्सर ट्रैफिक जाम जैसे कारणों से लेट होती है. श्रीनिवास ने कहा कि AI, ड्रोन और रोबोटिक्स निकट भविष्य में हेल्थकेयर डिलीवरी में क्रांति लाने के लिए तैयार हैं. एम्स, नई दिल्ली को अमृत काल में भविष्य के लिए तैयार करने के लिए, एआई, ड्रोन और रोबोटिक्स के अनुसंधान, अपनाने और अनुप्रयोग पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया गया है. 

हो रहे हैं ड्रोन्स के ट्रायल्स 
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और एम्स-ऋषिकेश पहले ही ड्रोन डिलीवरी के लिए सफल परीक्षण कर चुके हैं. सरकार अमृत काल को "आशा, सशक्तता और समावेशी अर्थव्यवस्था का युग" के रूप में वर्णित करती है. एम्स दिल्ली में प्रतिदिन 25,000 से ज्यादा मरीज आते हैं, जिससे यह देश की सबसे व्यस्त स्वास्थ्य सुविधा बन जाती है. 

मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने पहले से ही टीके, एंटी-स्नेक वेनम, जीवन रक्षक दवाओं से युक्त आपातकालीन मेडिकल सप्लाइज की डिलीवरी के लिए ड्रोन का संचालन शुरू कर दिया है और सर्विस डिलीवरी के एक हब एवं स्पोक मॉडल में वापसी का फ्लाइट में रिवर्स लॉजिस्टिक्स के रूप में डायग्नोस्टिक लैब के सैंपल्स ले जा रहे हैं.

डायग्नोसिस में डॉक्टर की मदद
इसके अलावा, एआई संचालित डायग्नोस्टिक टूल का उद्देश्य डॉक्टरों को मरीजों का सटीक निदान करने और उचित उपचार, दवाओं, जांच और सलाह की सिफारिश करने में मदद करना है. एआई मॉडल किसी मरीज की मेडिकल इमेज का विश्लेषण कर सकते हैं और छोटी से छोटी असामान्यताओं का पता लगा सकते हैं जो किसी बीमारी की उपस्थिति का संकेत दे सकते हैं, चाहे वह एक्स-रे मशीन या स्मार्टफोन कैमरे के माध्यम से ली गई हो.