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Motivation: भारत के सबसे प्रसिद्ध लेप्रो-सर्जन हैं डॉ. रमेश, 2000 से ज्यादा डॉक्टर्स की सिखाई तकनीक, मुफ्त में करते हैं जरूरतमंदों का इलाज

2000 से ज्यादा गायनोकोलॉजिस्ट को 3D लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की ट्रेनिंग देने वाले डॉ. रमेश बी Altius Hospital के फाउंडर हैं और इसके साथ ही, वह जरूरतमंद लोगों का इलाज फ्री में करते हैं.

Dr. Ramesh B, founder Altius Hospital Dr. Ramesh B, founder Altius Hospital
हाइलाइट्स
  • Altius Hospital के फाउंडर हैं डॉ रमेश

  • किसान परिवार में पले-बढ़े हैं रमेश

भारत में 3डी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करने वाले डॉ. रमेश बी दुनियाभर में जाने जाते हैं. उन्होंने हजारों डॉक्टर्स को यह तकनीक सिखाई है और लाखों सर्जरी कर चुके हैं. डॉ. रमेश Altius Hospital Chain के फाउंडर हैं और साथ ही, ग्रामीण इलाकों में लाखों लोगों के मसीहा जिनका उन्होंने जरूरत पड़ने पर मुफ्त में इलाज किया है. हालांकि, डॉ. रमेश बी की सफलता की कहानी कई संघर्षों से होकर गुजरती है. सालों पहलें जिस रमेश ने अपने मां को महावारी के समय दर्द सहते देखा, पिता को बीमारियों से जूझते देखा, लेकिन उनके पास डॉक्टर को कंसलट करने के पैसे नहीं थे. और आज उनकी कोशिश है कि पैसे के अभाव में किसी का इलाज न रुके. 

पढ़ाई के साथ किया खेतों में काम 
डॉ. रमेश बी आज मशहूर लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं. वह तुमकुरु जिले के छोटे से गांव संथेमावथुर में किसान परिवार में पले-बढ़े. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने बताया कि एक किसान परिवार में पैदा होने के कारण, यह लगभग तय था कि वह भी खेती करेंगे. लेकिन छोटी उम्र से ही महिलाओं को मासिक धर्म, गर्भावस्था और प्रसव के बाद होने वाली मुश्किलों को देखकर उन्हें एहसास हुआ कि उनके गांव को एक डॉक्टर की उतनी ही जरूरत है जितनी किसानों की. ऐसे में उन्होंने डॉक्टर बनने की ठानी. स्कूल से पहले और बाद में वह खेतों में अपने माता-पिता का हाथ बंटाते थे और साथ में पढ़ाई करते रहे. 

वह 10 किमी दूर कुनिगल शहर आते-जाते थे ताकि मेडिकल एग्जाम की तैयारी कर सकें. उनका लक्ष्य सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट पाना था ताकि वे अपने गांव के लिए कुछ कर सकें. साल 1988 में मैसूर मेडिकल कॉलेज में उन्हें दाखिला मिला. उनकी एडमिशन की परेशानी खत्म हुई तो दूसरी परेशानी सामने आ गई. दरअसल, उन्हें एक कान से सुनना बंद हो गया लेकिन परिवार आर्थिक तौर पर परेशानियों से घिरा था तो उन्होंने इलाज न कराने का फैसला किया और अपनी पढ़ाई में आगे बढ़ते रहे. 

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बने देश के पहले लेप्रोस्कोपिक सर्जन 
1993 और 1994 के बीच, डॉ. रमेश ने डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी), प्रसूति एवं स्त्री रोग में डिप्लोमा (डीजीओ), और कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन्स (एफसीपीएस) की फेलोशिप पूरी की. एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने अपने परिवार को सपोर्ट करने और अपने भाई-बहनों की शिक्षा में मदद करने के लिए उत्तरी केरल के ग्रामीण इलाकों में काम करना शुरू किया. इसके साथ उन्होंने एमडी के एग्जाम की तैयारी भी की.

उन्होंने मुंबई के सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज और केईएम अस्पताल से अपनी एमडी की डिग्री पूरी की. एमडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह केरल के एक ग्रामीण इलाके में मिशनरी अस्पताल लौट आए, जहां उन्होंने लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में एक्सपर्टीज के साथ पांच साल तक सर्विस की. 

गांव-गांव जाकर फ्री में की सर्जरी 
केरल के अस्पताल में काम करते हुए उन्होंने लेप्रोस्कोपिक टूल्स को इधर-उधर ले जाने के लिए एक दोस्त से एक कार किराए पर ली. गांव-गांव जाकर उन्होंने जरूरतमंद लोगों की मुफ्त सर्जरी कीं. आज भी उनका यह काम जरारी है. उन्होंने अपनी टीम के साथ पूरे कर्नाटक में एक मोबाइल यूनिट के जरिए घूम-घूम कर लोगों की सर्जरी की हैं. उन्होंने कई लेप्रोस्कोपिक ट्यूबेक्टोमी कैंप लगाए हैं. साल 2004 में, उन्होंने कर्नाटक में एक लेप्रोस्कोपी केंद्र की स्थापना की, जिससे समाज के सभी लोगों को अच्छी हेल्थकेयर मिले. 

डॉ. रमेश ने अब तक लगभग एक लाख स्त्री रोग संबंधी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी और 9,000 लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी की हैं. वह भारत में 3डी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू करने वाले पहले सर्जन थे और उन्होंने इस उन्नत तकनीक में लगभग 2,000 गायनोकोलॉजिस्ट को ट्रेनिंग दी है. 

गांव के स्कूल के लिए दान की जमीन 
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, डॉ. रमेश जिस गांव में वह पले-बढ़े, वहां उन्होंने एक सरकारी स्कूल के लिए जमीन दान की और पिछले 10 सालों से इसकी जरूरतों के लिए मदद कर रहे हैं. उन्होंने गांव में एक क्लिनिक भी बनाया जो सप्ताह में एक दिन चलता है और लोगों को फ्री कंसल्टेशन के साथ मुफ्त दवाएं भी देता है. डॉ. रमेश आज इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी अपने समुदाय को नहीं भुले हैं और लगातार उनकी भलाई के लिए काम कर रहे हैं. वह न सिर्फ ताऱीफ के काबिल हैं बल्कि आने वाली हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं.