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Free health services: बेसहारा और बेघर लोगों को मुफ्त में स्वास्थ्य सर्विस दे रहा है यह चलता-फिरता क्लीनिक

हैदराबाद में एक नॉन-प्रॉफिट संस्था, Aman Vedika पिछले कई सालों से लगातार बेसहारा और बेघर लोगों को मुफ्त में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही है.

Free health services for poor and homeless people Free health services for poor and homeless people

पिछले 7 सालों एक नॉन-प्रोफिट संस्था, अमन वेदिका, हैदराबाद में बेघर और बेसहारा लोगों को मुफ्त में स्वास्थ्य सेवाएं दे रही है. एक वैन में एक डॉक्टर, एक नर्स, एक ड्राइवर और एक मेडिकल सोशल वर्कर की एक टीम मरीजों के इलाज के लिए तैयार रहती है. ये लोग सर्दी, खांसी और बुखार जैसी गंभीर बीमारियों के लिए प्राथमिक दवाएं देते हैं. अगर मरीजों की पुरानी बीमारियों का पता चलता है और स्थिति गंभीर हो तो उन्हें सरकारी अस्पतालों में भेजा जाता है. 

अमन वेदिका की वैन सोमवार से शुक्रवार तक पांच दिनों के लिए हैदराबाद के पांच प्रमुख क्षेत्रों में 22 बिंदुओं को कवर करती है. इस प्रोजेक्ट के कॉर्डिनेटर सैयद फ़िरोज़ का कहना है कि इन क्षेत्रों का चयन कुछ साल पहले अमन वेदिका के सर्वेक्षण के आधार पर किया गया था. यहां बेघरों की संख्या ज्यादा है.

दवा बांटने से हुई शुरूआत
अमन वेदिका के सदस्यों ने अपने आश्रय स्थलों में रहने वाले बेघर लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत को पहचाना. बेघर लोग अक्सर अपनी शक्ल, पहनावे और व्यवहार के आधार पर बुरा व्यवहार किए जाने के डर से किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में जाने से झिझकते हैं. शुरुआत में टीम ने सिर्फ दवाएं बांटने का निर्णय लिया था. हालाकि, जैसे ही उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखा, डॉक्टर के परामर्श और चोटों की ड्रेसिंग करने के लिए एक नर्स की जरूरत पड़ी. 

जरूरी दवाओं, मलहम, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) और पेनकिलर दवाओं की एक सूची भी तैयार की गई. मरीज़ के मेडिकल इतिहास पर नज़र रखने के लिए एक मानक प्रक्रिया भी तैयार की गई थी. दानदाताओं के सहयोग से अब स्वयंसेवकों को न्यूनतम मानदेय उपलब्ध कराया जा रहा है. टीम में शामिल होने वाले हर एक नए सदस्य को पहले संगठन प्रशिक्षित करता है. 

चलता-फिरता है यह क्लीनिक 
अमन वेदिका की वैन चलता-फिरता क्लीनिक है. फ्लाईओवर पर 10 से 15 मरीजों का परीक्षण करते हैं और फिर अपने छोटे क्लिनिक-टाइप सेटअप को समेटकर आगे बढ़ते हैं. वॉलंटियर्स को जहां भी बेसहारा लोग दिखते हैं वे 'दवाई, दवा, गोली' चिल्लाते हैं और करीब एक किलोमीटर बाद गाड़ी रुकती है और फिर से क्लीनिक शुरू हो जाता है.  तब तर मरीजों की कतार लग जाती है. 

पिछले 4 वर्षों से टीम के साथ काम कर रहे जनरल फिजिशियन डॉ. राजेंद्र अरसम लोगों का चेकअप करते हैं. एक अन्य प्रशिक्षित चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता, रघुनाथन पिल्लई, दवाएं मरीजों को देते हैं. जबकि, नर्स वी.रेणुका डॉक्टर की मदद करते हुए मरीजों को सभी जरूरी बातें समझाती हैं. इस तरह से यह टीम दिनभर में सैकड़ों लोगों को मदद करती है.