
आए दिन हम नई टेक्नोलॉजी (Technology) की ओर बढ़ते जा रहे हैं और इससे हमारा स्क्रीन टाइम यानि लैपटॉप या फोन का उपयोग बढ़ता जा रहा है. ऐसे में सभी माता-पिता अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहते हैं. सबके मन में एक ही सवाल आता है कि क्या स्क्रीन टाइम हमारे बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है? हाल ही में बढ़ते ‘स्क्रीन टाइम’ (Screen Time) और कम होते ‘ग्रीन टाइम’ (Green Time) का असर बच्चों पर पड़ रहा है या नहीं, इसको लेकर प्लोस वन (Plos One) में एक सर्वे पब्लिश किया गया है.
इस सर्वे में पाया गया कि स्क्रीन का बढ़ा हुआ समय 9 और 10 साल के बच्चों पर हानिकारक प्रभाव नहीं डालता है. यह उन्हें सीधे तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाता है. आपको बता दें, अमेरिका में हुए इस सर्वे में 9 से 10 वर्ष की आयु के 11,875 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था.
I hope the myth 'Screens=bad' will die. What you do behind those screens matters.
— Miranda van Tilburg (@DrvanTilburg) September 16, 2021
Study of 12K kids find no links with depression/anxiety. More screen time = closer friends.
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कैसे किया गया अध्ययन?
अमेरिकी अध्ययन ने स्क्रीन टाइम और बच्चों के अकादमिक प्रदर्शन (Academic Performance), नींद की आदतों, साथ वालों के साथ संबंध और मानसिक स्वास्थ्य की जांच की। इसमें उन बच्चों के माता-पिता ने एक स्क्रीन टाइम प्रश्नावली, बच्चों के व्यवहार की चेकलिस्ट और एंग्जायटी स्केल को भरा। उन्होंने स्कूल में अपने बच्चे के ग्रेड, उनकी नींद की मात्रा और गुणवत्ता, परिवार की आय के बारे में बताया। इसके साथ बच्चों से भी स्क्रीन पर आने वाले अलग अलग मनोरंजक मीडिया के बारे में सवाल किए और यह भी पूछा की असल जिंदगी में उनके कितने दोस्त हैं.
क्या पाया गया है अध्ययन में?
इस अध्ययन में पाया गया कि बच्चों के स्क्रीन टाइम और उनकी घटती नींद या खराब स्लीप साइकिल में, ध्यान, मानसिक स्वास्थ्य और अकादमिक प्रदर्शन में कमी के बीच बेहद मामूली से संबंध हैं. इन सभी का सीधा लिंक स्कीन टाइम से नहीं है. इसके पीछे विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे; माता-पिता का बच्चों के साथ रहना, स्क्रीन टाइम सर्वे का डिजाइन और समाज.
यूएनसी और यूडब्ल्यू में प्रोफेसर मिरांडा वैन टिलबर्ग (Miranda van Tilburg) लिखती हैं कि मुझे उम्मीद है कि स्क्रीन और नींद के लिंक का मिथक खत्म हो जाएगा. आप उन स्क्रीन के पीछे क्या करते हैं मायने रखता है. 12 हजार बच्चों के अध्ययन में स्क्रीन टाइम का अवसाद/चिंता से कोई संबंध नहीं पाया गया है.अधिक स्क्रीन समय का मतलब ज्यादा दोस्त.
क्यों किया गया सर्वे?
दरअसल, आज के युवा पहले से कहीं ज्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया में स्क्रीन-बेस्ड डिजिटल डिवाइस तक औसत पहुंच प्रति बच्चे पर 3.3 डिवाइस है. इन उपकरणों में लैपटॉप, स्मार्ट फोन, टीवी, टैबलेट, गेमिंग डिवाइस और कंप्यूटर शामिल हैं।
दुनिया भर में हुए कई सर्वे बताते हैं कि लगभग सभी हाई स्कूल के छात्र और प्राथमिक विद्यालय के दो-तिहाई छात्रों के पास स्क्रीन-बेस्ड डिवाइस पाए गए हैं. बच्चे अपने दिन का कम से कम एक तिहाई समय स्क्रीन पर देखने में बिता रहे हैं. कई देशों के शिक्षकों और माता-पिता ने चिंता व्यक्त की है कि डिजिटल उपकरणों (सोशल मीडिया के उपयोग सहित) के तेजी से उपयोग से बच्चों की शारीरिक गतिविधि और उनके सीखने के क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.