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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सेना की चिकित्सा सेवा ने बनाई नीति, कहा- क्वारंटाइन नहीं है समस्या का समाधान

ये नीति तीनों रक्षा बलों और भारतीय तटरक्षक बलों में लागू की गई है, जिसमें कहा गया है कि लोगों को या तो टीकाकरण से या बीमारी से स्वाभाविक रूप से संक्रमित होने के कारण संक्रमण से अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है.

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सेना की चिकित्सा सेवा ने बनाई नीति कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सेना की चिकित्सा सेवा ने बनाई नीति
हाइलाइट्स
  • ओमिक्रॉन है कम खतरनाक

  • काफी संक्रामक है ओमिक्रॉन वेरिएंट

देश में कोरोना COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच, रक्षा बलों में सबसे शीर्ष चिकित्सा प्राधिकरण सेवा ने में कोरोना परीक्षण और क्वारंटाइन पर एक नीति बनाई है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण होने वाला संक्रमण डेल्टा और बीटा की तुलना में कम खतरनाक है.
दरअसल ये नीति तीनों रक्षा बलों और भारतीय तटरक्षक बलों में लागू की गई है, जिसमें कहा गया है कि लोगों को या तो टीकाकरण से या बीमारी से स्वाभाविक रूप से संक्रमित होने के कारण संक्रमण से अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है.

ओमिक्रॉन है कम खतरनाक
वाइस एडमिरल, रजत दत्ता की अध्यक्षता में सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशालय द्वारा जारी नीति में कहा गया है, "ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण होने वाला संक्रमण मुख्य रूप से एक ऊपरी श्वसन पथ (Upper Respiratory Tract) का संक्रमण है, जिसकी पुष्टि बड़ी संख्या में बिना लक्षण वाले या कम लक्षण वाले मामलों में की जाती है." नीति में आगे कहा गया है कि "डेल्टा और बीटा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन स्वाभाविक रूप से कम खतरनाक है; और इस मामले में काफी हद तक शरीर की इम्यूनिटी भी मदद करती है. इस स्थिति में पहले से ही क्वारंटाइन करना जरूरी नहीं है.

काफी संक्रामक है ओमिक्रॉन वेरिएंट
नीति में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि चूंकि ओमिक्रॉन वेरिएंट काफी संक्रामक है इसलिए इसके लोगों के फैलने की संभवता ज्यादा है. सेना के क्वारंटाइन सुविधाओं में अगर ओमिक्रॉन से संक्रमित लोग भारी मात्रा में आएंगे तो सुरक्षा कर्मियों में इसके फैलने का खतरा बढ़ेगा. वैसे भी पहली और दूसरी लहर में ये देखा गया है कि सेना की क्वारंटाइन सुविधाओं में काफी भीड़ रहती है. 

क्वारंटाइन को ना बनाए नियम
DGAFMS द्वारा जारी नीति में ये भी कहा गया है, "रक्षा बलों के लिए ट्रैवल-संबंधी क्वारंटाइन" एक नियम के बजाय एक अपवाद होना चाहिए और केवल विशिष्ट सेवा शर्तों पर लागू होनी चाहिए. जहां अचानक जनशक्ति की कमी हो सकती है. इससे परिचालन पहलुओं पर सीधा असर पड़ता है." DGAFMS तीनों रक्षा बलों में सर्वोच्च चिकित्सा प्राधिकरण है और सशस्त्र बलों में COVID के खिलाफ लड़ाई में मुख्य निकाय है.