scorecardresearch

Amoebic Meningoencephalitis: केरल में अजीब बीमारी से हुई एक लड़की की मौत, आप भी जान लें नेगलेरिया फाउलेरी या दिमाग खाने वाले अमीबा के बारे में

Amoebic Meningoencephalitis: संक्रमण का पहला तरीका नाक से होता है. जब लोग पानी से जुड़ी किसी एक्टिविटी को करते हैं, तो अमीबा नाक से शरीर में प्रवेश कर सकता है. अमीबा आखिर में जाकर दिमाग के टिश्यू पर हमला करता है,

Brain-eating amoeba (Photo/Unsplash) Brain-eating amoeba (Photo/Unsplash)
हाइलाइट्स
  • नाक से करता है शरीर में प्रवेश

  • अभी तक नहीं है कोई इलाज 

केरल के कोझिकोड के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बच्ची की अजीब बीमारी से मौत हो गई. 5 साल की बच्ची का प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) का इलाज चल रहा था. ये संक्रमण नेगलेरिया फाउलेरी, जिसे "दिमाग खाने वाले अमीबा" के नाम से भी जाना जाता है, के कारण होता है. हालांकि, इसने अब तक वैश्विक स्तर पर कई लोगों की जान ले ली है. 

प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) क्या है?

प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) दिमाग में होने वाला एक खतरनाक इन्फेक्शन है. ये एक फ्री लिविंग अमीबा नेगलेरिया फाउलेरी के कारण होता है. यह ताजे पानी और मिट्टी में पनपता है और आमतौर पर 115°F (46°C) तक के तापमान वाले वातावरण में पाया जाता है. यह गर्म वातावरण में भी थोड़े समय तक जीवित रह सकता है. 

सम्बंधित ख़बरें

नाक से करता है शरीर में प्रवेश

नेगलेरिया फाउलेरी व्यक्तियों को तब इन्फेक्टेड करता है जब यह नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. ये इन्फेक्शन आमतौर पर झीलों, नदियों जैसे मीठे पानी और खराब रखरखाव वाले स्विमिंग पूल में स्विमिंग या गोता लगाने के दौरान हो सकता है. एक बार जब शरीर के अंदर, अमीबा ब्रेन तक चला जाता है, तब ये दिमाग के टिश्यू को अटैक करता है. इससे दिमाग में सूजन हो जाती है.

नेगलेरिया फाउलेरी लोगों को कैसे संक्रमित करता है?

संक्रमण का पहला तरीका नाक से होता है. जब लोग पानी से जुड़ी किसी एक्टिविटी को करते हैं, तो अमीबा नाक से शरीर में प्रवेश कर सकता है. अमीबा आखिर में जाकर दिमाग के टिश्यू पर हमला करता है, जिससे प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नाम की खतरनाक स्थिति पैदा होती है.

कोझिकोड के हालिया मामले में, कहा जा रहा है कि बच्ची 1 मई को एक स्थानीय नदी में तैरते समय संक्रमण की चपेट में आ गई. चार दूसरे बच्चों के साथ नहाने के बावजूद, वह अकेली थी जिसमें इसके लक्षण दिखाई दिए. 

प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के लक्षण

पीएएम की शुरुआत सिरदर्द, बुखार, मतली (nausea) और उल्टी जैसे शुरुआती लक्षणों से होती है. जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, गंभीर लक्षण विकसित होते हैं, जिनमें गर्दन में अकड़न, दौरे, हैलुसिनेशन और आखिर में कोमा शामिल हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, पीएएम वाले ज्यादा लोग लक्षण दिखने के 1 से 18 दिनों के भीतर बीमारी का शिकार हो जाते हैं, आमतौर पर लगभग पांच दिनों के भीतर उनकी मौत हो जाती है.

अभी तक नहीं है कोई इलाज 

मौजूदा समय में, PAM का कोई निश्चित इलाज नहीं है. दवाई के ट्रीटमेंट से लक्षणों को कम किया जा सकता है. इन दवाओं में एम्फोटेरिसिन बी, एजिथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाजोल, रिफैम्पिन, मिल्टेफोसिन और डेक्सामेथासोन शामिल हैं. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पीएएम के 20 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें कोझिकोड की घटना केरल में सातवां इन्फेक्शन है. जुलाई 2023 में, अलाप्पुझा के एक 15 साल लड़के की इन्फेक्शन से मौत हो गई थी. केरल में पहला मामला 2016 में अलाप्पुझा में दर्ज किया गया था.