रोना कोई असामान्य बात नहीं है. जब हम किसी दर्द पीड़ा या परेशानी में होते हैं तभी हमारी आंखों से आंसू निकलते हैं. लेकिन एक्ट्रेस अनन्या पांडे अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए रोना पसंद करती हैं. जीहां आपने सही पढ़ा. अनन्या पांडे ने एक पॉडकास्ट में कहा है कि उन्हें रोना पसंद है क्योंकि इससे खूबसूरती बढ़ती है. आंखों में आंसू आने से उन्हें 'प्राकृतिक चमक और ग्लासी आई इफेक्ट मिलता है.
क्या रोने से स्किन पर आती है चमक
अनन्या का दावा है कि आंखों में आंसू आने से उन्हें नेचुरल चमक मिलती है. क्या सच में ऐसा होता है? नहीं, हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो लंबे समय तक और हर वक्त रोने से त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है. दरअसल जब हम आंसुओं को पोछने के लिए टिशु या रुमाल का इस्तेमाल करते हैं तो इसके स्किन में जलन होने लगती है. ये जलन इसलिए होती हैं क्योंकि आंसू आइसोटोनिक होते हैं. हामरे आंसुओं का पीएच लेवल (7) हमारी त्वचा (5-6) की तुलना में ज्यादा होता है. जब PH लेवल में बदलाव होता है तो हमारी स्किन अलग तरह से रिएक्ट करती है.
रोते समय आंखों, चेहरे और नाक के आसपास के Blood Vessels फैल जाते हैं और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है, इसी वजह से रोते समय या रोने के बाद आंखों का सफेद हिस्सा लाल या गुलाबी दिखने लगता है.
रोने के पीछे कौन सा साइंस काम करता है
दुख परेशानी और खुशी के अलावा भी आंसू आने के कई कारण हो सकते हैं. साइकोलॉजिस्ट्स इस बात पर हमेशा जोर देते हैं कि भावनाओं के उबाल में रोना अच्छा होता है. आंसुओं में एंजाइम्स, लिपिड्स, मेटाबोलाइट्स और इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं. अध्ययनों से पता चला है कि रोने से हमें स्ट्रेस और इमोशनल पेन से राहत मिलती है. रोने से हमारे शरीर में ऑक्सीटोसिन और ओपिओइड रिलीज होते हैं, जिन्हें एंडोर्फिन भी कहा जाता है. ये फील गुड वाले केमिकल होते हैं और फिजिकल और इमोशनल पेन को कम करने में मदद करते हैं. रोना स्ट्रेस को निकालने का सबसेे अच्छा तरीका है, इस प्रॉसेस से माइंड में से ट्रॉमा वाली फीलिंग निकल जाती है. हालांकि खुश के मौके पर निकलने वाले आंसू और गम में निकलने वाले आंसू अलग-अलग होते हैं.
विज्ञान के अनुसार रोने के 5 फायदे
1. 2014 की एक रिसर्च के मुताबिक रोने से लोगों का मन हल्का होता है. रोने से हमारा शरीर पैरासिम्पेथेटिक वर्व सिस्टम को एक्टिव करता है, जिससे लोगों को आराम महसूस करने में मदद मिलती है.
2. रोने से लोगों को न केवल खुद को शांत करने में मदद मिल सकती है बल्कि दूसरों से सपोर्ट मिलता है. 2011 की एक रिसर्च के अनुसार, रोना एक अटैचमेंट वाला बिहेवियर है, क्योंकि इससे हमारे आस-पास मौजूद लोगों का सपोर्ट मिलता है.
3. रोने से दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है. 2014 के एक अध्ययन में पाया गया कि आंसू बहाने से ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन निकलते हैं. ये रसायन लोगों को अच्छा महसूस कराते हैं और शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह के दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं.
4. रोने से बैक्टीरिया को मारने और आंखों को साफ रखने में मदद मिलती है क्योंकि आंसुओं में लाइसोजाइम नाम का फ्लूइड होता है. लाइसोजाइम में इतने माइक्रोबियल प्रॉपर्टी होती है कि यह एंथ्रेक्स के जोखिमों को कम करने में भी मदद कर सकता है.
5. पलक झपकने पर निकलने वाले बेसल टियर्स आंखों को नम रखने में मदद करते हैं और श्लेष्मा झिल्ली को सूखने से रोकते हैं.
वीक में 2 से 3 बार इमोशनल होना और रोना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर इससे ज्यादा बार रोना आ रहा हो तो हो सकता है आप डिप्रेशन में हों.