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कैसे एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल दे रहा नई बीमारियों को जन्म, जानें

साउथ अमेरिका के अस्पतालों के डाटा से पता चलता है कि अस्पतालों में भर्ती  90% से 100% कोविड -19 रोगियों को उनके इलाज के हिस्से के रूप में एंटी माइक्रोबियल ड्रग्स दिए गए थे, जबकि उनमें से केवल 7% को उन दवाओं की आवश्यकता थी.

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हाइलाइट्स
  • आइवरमेक्टिन और क्लोरोक्वीन का कोविड पर कोई प्रभाव नहीं

  • एक नए सुपरबग के उद्भव का बन सकता है कारण

पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (पीएएचओ) ने बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि कोरोनोवायरस महामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं और अन्य एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से बैक्टीरिया को प्रतिरोध विकसित करने में मदद मिल रही है जो इन महत्वपूर्ण दवाओं को अप्रभावी बना देगा. स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि अर्जेंटीना, उरुग्वे, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला और पराग्वे सहित दक्षिण अमेरिका के कई देशों में ड्रग रेसिस्टेंट संक्रमणों की संख्या बढ़ रही है, जिससे अस्पताल में भर्ती कोविड ​​​​-19 मरीज़ों के मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई है.

आइवरमेक्टिन और क्लोरोक्वीन का कोविड  पर कोई प्रभाव नहीं

पीएएचओ के निदेशक कैरिसा एटियेन ने एक वेबकास्ट न्यूज़ ब्रीफिंग में कहा, "हमने देखा है कि संभावित गंभीर परिणामों के साथ एंटीमाइक्रोबायल्स का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ा है." "हम उन दवाओं को खोने का जोखिम उठा रहें हैं जिन पर हम आम संक्रमणों के इलाज के लिए भरोसा करते हैं." उन्होंने कहा कि अस्पताल के बाहर एंटीमाइक्रोबियल दवाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आइवरमेक्टिन और क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं का उपयोग अप्रमाणित उपचार के रूप में किया जा रहा है, जबकि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि वे कोविड रोगियों के इलाज में कोई ख़ास भूमिका नहीं निभाते हैं.

एक नए सुपरबग के उद्भव का बन सकता है कारण

आइवरमेक्टिन और क्लोरोक्वीन के उपयोग को इस क्षेत्र के कुछ अधिकारियों द्वारा सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया गया है. इनमें ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो भी शामिल हैं. "साउथ अमेरिका  के अस्पतालों के डाटा से पता चलता है कि अस्पतालों में भर्ती  90% से 100% कोविड -19 रोगियों को उनके इलाज के हिस्से के रूप में एंटी माइक्रोबियल ड्रग्स दिए गए थे, जबकि उनमें से केवल 7% को उन दवाओं की आवश्यकता थी", एटियेन ने जानकारी देते हुए बताया. एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग और अति प्रयोग को लंबे समय से एक संभावित खतरे के रूप में देखा गया है जो मौजूदा उपचारों के प्रतिरोध के साथ तथाकथित सुपरबग के उद्भव का कारण बन सकता है.