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Sarcoma Cancer and Artificial intelligence: AI आसानी से लगाएगा सार्कोमा कैंसर का पता, सटीक ट्रीटमेंट और डाइग्नोस में मिलेगी मदद

सारकोमा जैसे दुर्लभ कैंसर पहले पता नहीं चल पाता है ऐसे में उसका ट्रीटमेंट भी देर से शुरू होता है. रेट्रोपेरिटोनिल सार्कोमा कैंसर पेट के पिछले हिस्से में बनता है. लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसमें मदद कर सकती है. 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
हाइलाइट्स
  • एआई से लगेगा बीमारी का पता 

  • रोगियों की बच सकती है जान 

कैंसर के इलाज को लेकर दुनियाभर में अलग-अलग वैज्ञानिक स्टडी करने में लगे हैं. अब अब इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी समझा जा रहा है. एक स्टडी के मुताबिक, एक दुर्लभ कैंसर के डाइग्नोस और ट्रीटमेंट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा सकता है. एआई तकनीक का उपयोग करके, शोधकर्ताओं ने तेज, ज्यादा सटीक डाइग्नोस को लेकर संकेत दिया है. इससे जल्द कैंसर का पता चल सकेगा जिससे हर साल हजारों मरीजों को फायदा हो सकता है. 

सारकोमा जैसे दुर्लभ कैंसर पहले पता नहीं चल पाता है ऐसे में उसका ट्रीटमेंट भी देर से शुरू होता है. रेट्रोपेरिटोनिल सार्कोमा कैंसर पेट के पिछले हिस्से में बनता है. इसकी वजह से इसका सटीक ट्रीटमेंट और डाइग्नोस और भी मुश्किल हो जाता है. लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसमें मदद कर सकती है. 

एआई से लगेगा बीमारी का पता 

रिसर्च टीम ने रेट्रोपेरिटोनिल सार्कोमा वाले 170 रोगियों के सीटी स्कैन के डेटा का उपयोग करके एक एआई एल्गोरिदम बनाया. इस एआई टूल का यूरोप और अमेरिका के केंद्रों के 89 मरीजों पर टेस्ट करके किया गया. इसके रिजल्ट काफी आश्चर्यजनक थे. एआई एल्गोरिदम ने 82% समय में ट्यूमर की आक्रामकता को सटीक रूप से बताया.  बता दें, बायोप्सी केवल 44% सटीक ही बता पाती है. इतना ही नहीं इसने 84% मामलों में दो तरह के नॉर्मल सार्कोमा के बीच अच्छे से अंतर बताया, जबकि रेडियोलॉजिस्ट को केवल 35% मामलों में ही ऐसा कर पाते हैं. 

रोगियों की बच सकती है जान 

इस मेथड से रोगियों की बीमारी का जल्दी पता लगाया जा सकेगा. साथ ही इसमें विश्व स्तर पर उपयोग किए जाने की भी क्षमता है. ये मेथड सार्कोमा रोगियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस तकनीक से उनके नियमित सीटी स्कैन को बढ़ाया जा सकता है, जिससे बीमारी आसानी से पता की जा सकेगी.