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आपको भी होती है अगर हर दूसरे दिन एसिडिटी की प्रॉब्लम तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे, तुरंत मिलेगा फायदा

आजकल फास्ट फूड, कम नींद और दिनभर बैठकर काम करना जैसी आदतें हमारी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गई हैं. इस कारण गैस, कब्ज और एसिडिटी जैसी बिमारियां बहुत आम हो गई हैं.

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कई बार सीने के निचले हिस्से के आसपास जलन महसूस होने लगती है और इसे एसिडिटी कहा जाता है. इसे आमतौर पर एसिड रिफ्लक्स के रूप में भी जाना जाता है. जब पेट का एसिड सीधे फूड पाइप में वापस चला जाता है, तो यह होता है. एसिड रिफ्लक्स का सबसे बड़ा लक्षण है सीने में बेचैनी या एक असहजता.

आजकल यह होना बहुत आम हो गया है. हर दूसरे दिन लोग एसिडिटी की शिकायत करते हैं. और इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी खुद की लाइफस्टाइल. जिस तरह का खाना हम खाते हैं या हमारी नींद, एक्सरसाइज जैसे होती है, उसका असर हमारी सेहत पर सबसे ज्यादा पड़ता है.  

एसिडिटी के लक्षण

  • अगर आपको एसिडिटी है तो ऐसे लगता है जैसे पेट, फूडपाइप और हार्ट में जलन हो रही है. 
  • बिना किसी स्पष्ट कारण के बार-बार हिचकी आना या डकार आना
  • सीने में बेचैनी और जलन का अहसास
  • मुंह में लंबे समय तक खट्टा-खट्टा स्वाद रहना 

अब सवाल है कि इसे ठीक कैसे किया जाए. इसके लिए आपको एकदम से डॉक्टर के पास भागने की जरूरत नहीं है. आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ चैताली ने अपने इंस्टाग्राम पर एसिडिटी को कम करने और उच्च पित्त के संतुलन से संबंधित परेशानी जैसे माइग्रेन, गैस्ट्रिक प्रॉब्लम, जलन, सिरदर्द, मुंहासे आदि को कम करने के लिए आयुर्वेदिक सूझाव शेयर किए हैं.  

1. मिश्री के साथ सौंफ लें: आयुर्वेद के अनुसार, सौंफ को पित्त प्रशांत जड़ी-बूटी कहा जाता है और इसका उपयोग ज्यादातर भारतीय घरों में किया जाता है. मिश्री एक सुपर कूलेंट है. इसलिए बेहतर पाचन के लिए सौंफ और मिश्री को साथ में चबाएं और अपने जीआई ट्रैक में एसिड लेवल को संतुलित करें. 

2. कॉरिएंडर टी (धनिया की चाय): यह चाय आपके उच्च अम्लीय स्तर, माइग्रेन, हार्टबर्न, अधिजठर भारीपन, पेट की परेशानी और जलन के साथ अन्य आंत की समस्याओं को कम करेगी. 

3. भीगी हुई काली किशमिश: पित्त संतुलन के लिए सबसे सही तरीका है काली किशमिश. काली किशमिश को रात भर पर्याप्त पानी में भिगोएं, और सुबह नाश्ते से पहले इसका सेवन करें. और आप वह पानी भी पी सकते हैं जिसमें आपने ये भिगोईं थीं.