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खराब डाइट है टाइप-2 डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण, जानिए क्या है Type-2 Diabetes

डायबिटीज आज दुनिया और भारत के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. इसका कनेक्शन खानपान और लाइफस्टाइल से है. ये स्टडी भी खानपान को लेकर लोगों को सावधान करती है. जिसमें खान पान की दर्जन भर चीजों पर गौर किया गया. इसमें सामने आया है कि  टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ाने में खानपान की तीन आदतों का  योगदान सबसे ज्यादा है.

डायबिटीज डायबिटीज
हाइलाइट्स
  • चीन के बाद भारत में हैं सबसे ज्यादा डायबिटीज मरीज

  • 1990 से 2018 तक का डाटा हुआ इस्तेमाल

चमक-दमक, दौलत-शोहरत, ऐशो आराम, साथ ही शौक-सुविधाओं के तमाम इंतजाम. देखा जाए तो ऐसी जिंदगी सभी को खूबसूरत लगती है. पढ़े लिखे कामकाजी लोगों की जिन्दगी में यूं तो जरूरत का हर एक सामान है. लेकिन क्या सेहत को लेकर भी ये लोग सावधान है? दिन रात काम करते और कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए कहीं सेहत की फिक्र पीछे तो नहीं छूट गई. ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अमेरिका में की गई एक स्टडी के मुताबिक खाने पीने में लापरवाही की वजह से दुनिया डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी का सामना कर रही है और भारत के लिहाज से भी ये सर्वे बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारी बड़ी आबादी पहले ही से डायबिटीज की चपेट में है. 

1990 से 2018 तक का डाटा हुआ इस्तेमाल
मेडिकल जर्नल नेचर मेडिसिन में छपी स्टडी के मुताबिक, दुनिया में हर साल डायबिटीज के 1 करोड़ 40 लाख केस की वजह खराब खानपान है. स्टडी में 1990 से 2018 तक के डेटा का इस्तेमाल किया गया है. और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में खानपान के तौर-तरीकों के देखा गया है. 

टाइप-2 डायबिटीज बढ़ाने में इन तीन आदतों का सबसे बड़ा योगदान
डायबिटीज आज दुनिया और भारत के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. इसका कनेक्शन खानपान और लाइफस्टाइल से है. ये स्टडी भी खानपान को लेकर लोगों को सावधान करती है. जिसमें खान पान की दर्जन भर चीजों पर गौर किया गया. इसमें सामने आया है कि  टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ाने में खानपान की तीन आदतों का  योगदान सबसे ज्यादा है. पहला है साबुत अनाज कम खाना, दूसरा प्रोसेस्ड चावल ज्यादा खाना और तीसरा जरूरत से ज्यादा प्रोसेस्ड मीट खाना.

इसके अलावा भी कई दूसरे फैक्टर अहम है. मसलन जरूरत से ज्यादा फ्रूट जूस पीना, सब्जियां या बीज का कम इस्तेमाल और सूखे फल  नहीं खाना, यानी जो शरीर के लिए ठीक नहीं उसकी मात्रा भोजन में ज्यादा है और जो जरूरी है, उसे लोग कम से कम खा रहे हैं. स्टडी के मुताबिक इसी वजह से डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है और आगे भी तेजी से बढ़ सकती है.

184 देशों पर हुई स्टडी
इस स्टडी में दुनिया के 184 देशों को शामिल किया गया है, और चिंता की बात ये है कि सभी देशों में 1990 से 2018 के दरम्यान डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़े हैं. इसका असर व्यक्ति उसके परिवार और हेल्थ केयर सिस्टम पर पडा है. हम आपको भारत में इस बीमारी से जुड़े आंकड़ों के जरिए बताएंगे कि ये समस्या कितनी बड़ी है. लेकिन अभी ये समझ लीजिए कि इस बीमारी से लड़ने के लिए खानपान और खानपान के तरीकों को ठीक करना बहुत जरूरी है. 

टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में क्या है अंतर?
ये रिपोर्ट जो आपने देखी असल में वो टाइप-2 डायबिटीज को लेकर है, जो टाइप-1 डायबिटीज से अलग होता है. हालांकि दोनों के लक्षण कमोबेश एक जैसे होते हैं, दोनों ही केस में शरीर ग्लूकोज को ठीक से स्टोर और इस्तेमाल नहीं कर पाता. टाइप-1 में शरीर में इंसुलिन नहीं बनता इसलिए शरीर ग्लूकोज का इस्तेमाल नहीं कर पाता. जबकि टाइप-2 में शरीर को इंसुलिन पर जितनी रिस्पॉन्स देना चाहिए वो नहीं मिलता. इस तरह दोनों ही डायबिटीज में ब्लड शुगर का लेवल बढा होता है, जो शरीर के अलग अलग अंगों को नुकसान पहुंचाता है. लेकिन जहां टाइप-1 के लक्षण तुरंत नजर आते हैं वही टाइप-2 के लक्षण वर्षों तक दिखाई नहीं देते. पता तब चलता है जब परेशानी बढ़ती है. दोनों ही तरह के डायबिटीज को अगर सही तरीके से मैनेज नहीं किया गया तो कई तरह की समस्याएं हो सकती है, और ये बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है. दुनिया ही नहीं बल्कि भारत में ये बीमारी बड़ी चुनौती बन चुकी है.

चीन के बाद भारत में हैं सबसे ज्यादा डायबिटीज मरीज
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 7.4 करोड़ लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं. लेकिन  2045 तक डायबिटीज के मरीजों की संख्या साढ़े 12 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. इस तरह चीन के बाद भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं. बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि बड़ी आबादी ऐसी है जिसे इस बात की खबर नहीं है कि उन्हें डायबिटीज है. ये खतरनाक स्थिति है, क्योंकि इसकी वजह से हार्ट अटैक स्ट्रोक किडनी फेल्योर हो सकता है. 

युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है डायबिटीज
दूसरी चिंता की बात ये है कि भारत में 20 साल से कम उम्र के 2.29 लाख से ज्यादा युवा  डायबिटीज से जूझ रहे हैं. ये संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है. इस तरह ये बीमारी युवा पीढ़ी के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है. 2021 में दुनियाभर में डायबिटीज से 67 लाख मौतें हुई थी. मौत के मामले में चीन फिर अमेरिका और तीसरे नंबर पर भारत है जहां 6 लाख लोगों की मौत हुई.