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TB की वैक्सीन से अल्जाइमर का खतरा भी होगा कम: रिसर्च

टीबी को रोकने के लिए इस्तेमाल की जीने वाली बीसीजी की वैक्सीन से अल्जाइमर रोग का खतरा कम होता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि बीसीजी वैक्सीन कई तरह की बीमारियों को रोकने में इस्तेमाल की जा सकती है. फिलहाल ये ब्लैडर कैंसर के उपचार में भी सहयोगी मानी जा रही है.

vaccine vaccine

टीबी को रोकने के लिए इस्तेमाल की जीने वाली बीसीजी की वैक्सीन से अल्जाइमर रोग का खतरा कम होता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि बीसीजी वैक्सीन कई तरह की बीमारियों को रोकने में इस्तेमाल की जा सकती है. फिलहाल ये ब्लैडर कैंसर के उपचार में भी सहयोगी मानी जा रही है. एक्सपर्ट्स का दावा है कि यह टीका अल्जाइमर के इलाज में मील का पत्थर साबित हो सकता है. 

कैसे की गई रिसर्च

मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल (एमजीएच) और ब्रिघम और महिला अस्पताल (बीडब्ल्यूएच), यूएस की टीम ने bladder cancer का निदान करने के बाद 15 साल तक 6,467 व्यक्तियों पर नजर रखी. इनमें से 3,388 लोगों को BCG vaccine ट्रीटमेंट दी गई थी. वहीं  3,079 लोगों का नॉर्मल उपचार किया गया.

फॉलोअप में जामा नेटवर्क ओपन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि बीसीजी टीका समूह में 202 और नियंत्रण समूह में 262 रोगियों ने अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया विकसित किया. विश्लेषण से पता चला कि बीसीजी वैक्सीन के साथ उपचार अल्जाइमर रोग और संबंधित डिमेंशिया के 20 प्रतिशत कम जोखिम से जुड़ा था. ये ज्यादातर 70 साल से ज्यादा उम्र को लोगों में पाया गया.

बीसीजी वैक्सीन से मौत का जोखिम 25 प्रतिशत कम

शोधकर्ताओं के अनुसार, बीसीजी वैक्सीन के साथ ट्रीममेंट मौत के 25 प्रतिशत कम जोखिम से जुड़ा था. बीसीजी जैसा टीका यदि प्रभावी साबित होता है, तो अल्जाइमर जैसी बीमारी में आने वाली लागत को कम किया जा सकता है. इस रिसर्च के बाद वैज्ञानिक अल्जाइमर रोग से संबंधित नैदानिक ​​परीक्षणों में वृद्धों के बीसीजी टीकाकरण के संभावित लाभों पर अध्ययन कर पर फोकस कर रहे हैं. अगर कोई लिंक पाया जाता है, तो इसमें शामिल mechanisms को समझना जरूरी होगा, इम्यून सिस्टम पर बीसीजी वैक्सीन के प्रभाव को जोड़ने में भूमिका हो सकती है.

क्या है अल्जाइमर

अल्जाइमर एक न्यूरोलॉजिक डिसऑर्डर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो दुनिया में 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. डिमेंशिया अल्जाइमर का ही एक रूप है. अल्जाइमर में कुछ समझने, चीजों को याद रखने, चुनाव करने जैसे काम को करने में परेशानी होती है. अगर इन बीमारियों के प्रारंभिक लक्षणों को अनदेखा किया जाए व समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो व्यक्ति अपने प्रतिदिन के कार्य भी नहीं कर पाता है.