
ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis) या टीबी के इलाज में बेडाक्विलाइन (Bedaquiline) एक संजीवनी के रूप में सामने आयी है. मुंबई में टीबी के सैकड़ों रोगियों के लिए ये दवा नई आशा के रूप में सामने आयी है. स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस दवा से टीबी रोगियों में 40 से 70 प्रतिशत तक की रिकवरी देखी गयी है. अब तक, मुंबई में 4,273 एमडीआर-टीबी (MDR-TB) रोगियों को ये दवा दी गई है.
बता दें , बेडाक्विलाइन एक एंटीबैक्टीरियल दवाई है. जिसमें डायरिलक्विनोलिन एंटीमाइकोबैक्टीरिया (diarylquinoline antimycobacterial) को अन्य एंटी-बैक्टीरियल दवाओं के साथ मिलकर टीबी मरीजों का इलाज किया जाता है.
कोविड के बीच कई टीबी रोगियों ने उठाया लाभ
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 से एमडीआर-टीबी (MDR-TB) के 4,273 रोगियों को बेडाक्विलाइन दवा से फायदा मिला है. 2018 में, केवल 273 एमडीआर-टीबी रोगियों को दवा के लिए नामांकित किया गया था। वहीं उससे अगले साल, ये संख्या बढ़कर 1,089 हो गयी. 2020 में, चल रही कोविड-19 महामारी के बीच, कुल 2,068 टीबी रोगियों ने इसका लाभ उठाया है.
टीबी रोगियों में देखी गयी बेहतर रिकवरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीएमसी में टीबी विभाग की प्रभारी डॉ प्रणिता कहती हैं, “पहले, टीबी रोगियों में ठीक होने की दर लगभग 40-50% थी. अब, दवाओं की शुरुआत के साथ, हमने देखा है कि ठीक होने की दर बढ़कर 70% हो गई है. इसने इस डर से लड़ने में भी मदद की है कि टीबी लाइलाज है.
बांद्रा के लीलावती अस्पताल में डॉ जलील पारकर ने भी इस दवाई की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि जिन्हें बेडाक्विलाइन दवा दी जा रही है, इससे टीबी रोगियों में बेहतर रिकवरी देखी गयी है.
2019 की तुलना में 2020 हुई ज्यादा लोगों की मौत: WHO
टीबी की बीमारी माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया से संक्रमित होने के कारण होती है. इससे सबसे ज्यादा फेफड़े प्रभावित होते हैं. अक्टूबर 2021 में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, इससे हर साल बीमार पड़ने वाले 90 फीसदी मरीज केवल 30 देशों से ही हैं. इन देशों में से एक भारत भी है. रिपोर्ट दर्शाती है कि साल 2019 की तुलना में, 2020 में टीबी से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, और अपेक्षाकृत कम लोगों में इस बीमारी के बारे में पता चल पाया है. ऐसे में ये इलाज टीबी के मरीजों के लिए एक संजीवनी का काम कर सकता है.