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Nasal Corona Vaccine: कोरोना के खिलाफ एक और कदम, भारत बायोटेक की नेज़ल कोरोना वैक्सीन को मिली मंजूरी

डीसीजीआई ने भारत की पहली नेज़ल कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. भारत बायोटेक की इस वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो चुका है. 4 हजार लोगों पर इसका परीक्षण किया गया था. फिलहाल इस वैक्सीन के कोई भी दुष्परिणाम नहीं है. इस वैक्सीन को नाक में छिड़का जाता है, और सांस ली जाती है.

कोरोना के खिलाफ एक और कदम, भारत बायोटेक की नेज़ल कोरोना वैक्सीन को मिली मंजूरी कोरोना के खिलाफ एक और कदम, भारत बायोटेक की नेज़ल कोरोना वैक्सीन को मिली मंजूरी
हाइलाइट्स
  • भारत की पहली नेज़ल वैक्सीन को मिली मंजूरी

  • 4 हजार लोगों पर हुआ परीक्षण

  • मनसुख मंडाविया ने किया ट्वीट

भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की नेज़ल कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) को इमरजेंसी यूज़ (Emergency Use) के लिए डीसीजीआई (DCGI) की मंजूरी मिल गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस बात की सूचना दी. ये भारत की पहली नेज़ल कोरोना वैक्सीन होगी. 

मंडाविया ने ट्वीट करते हुए इस बात की सूचना दी. उन्होंने लिखा, "भारत बायोटेक के ChAd36-SARS-CoV-S COVID-19 (Chimpanzee Adenovirus Vectored) कम्बाइन्ड नेज़ल वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में उपयोग के लिए 18+ आयु वर्ग में कोविड -19 के टीकाकरण के लिए मंजूरी मिल गई है. उन्होंने आगे लिखा, "यह कदम महामारी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई को और मजबूत करेगा. भारत ने पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में अपने विज्ञान, अनुसंधान एवं विकास और मानव संसाधनों का उपयोग किया है. विज्ञान-संचालित दृष्टिकोण और सबके प्रयास के साथ, हम कोविड-19 को मिलकर हराएंगे."

4 हजार लोगों पर हुआ परीक्षण
कंपनी के सूत्रों ने कहा था कि हैदराबाद स्थित फर्म ने लगभग 4,000 वॉलेंटियर के साथ नेज़ल वैक्सीन का परीक्षण पूरा किया और अब तक इसका कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है.

क्या होती है नेज़ल वैक्सीन?
टीके आमतौर पर मांसपेशियों (Intramuscular) या त्वचा और मांसपेशियों के बीच के ऊतक में दिया जाता है. इसके अलावा टीके लगाने का एक और तरीका है, मुंह में वैक्सीन डाली जाती है. खासतौर पर बच्चों को ये वैक्सीन दी जाती है. वहीं इंट्रानैसल मार्ग में, वैक्सीन को नथुने में छिड़का जाता है और सांस ली जाती है. कोरोना वायरस सहित कई वायरस, म्यूकोसा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं जो ज्यादातर नाक, मुंह, फेफड़े और पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इंट्रानैसल वैक्सीन उस समय से वायरस के खिलाफ काम कर सकती है जब वह शरीर में प्रवेश करता है.