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Diabetes Medicinal Plant: ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर मिला औषधीय पौधा, डायबिटीज के साथ इन बीमारियों के इलाज में है कारगर

सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने करीब तीन दशक की रिसर्च के बाद डायबिटीज के साथ लिपिड प्रोफाइल को कंट्रोल करने की ऐसी दवा तैयार की है, जोकि गुड़मार से बनी है.

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बिहार के मशहूर तीर्थ गया के पास स्थित ब्रह्मयोनि पहाड़ी अब धार्मिक के साथ-साथ स्वास्थ्य महत्व की जगह भी बन गई है. यहां की वनस्पतियों में डायबिटीज का इलाज छिपा है. इन वनस्पतियों से केंद्रीय औद्योगिक अनुसंधान परिषद यानी सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने करीब तीन दशक की रिसर्च के बाद डायबिटीज के साथ लिपिड प्रोफाइल को कंट्रोल करने में सक्षम बीजीआर-34 विकसित किया है.

पहाड़ियों में जड़ी-बूटियों का भंडार
बिहार के मगध यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस पर गहरा अध्ययन किया है. इस अध्ययन टीम में शामिल वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का कहना है कि डायबिटीज पर काबू पाने में ये औषधीय पौधे बेहद कारगर हैं. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ब्रह्मयोनि पहाड़ी पर मौजूद औषधीय पौधों की क्षमताओं पर अच्छी रिसर्च की है. इन्हीं औषधियों में से एक गुड़मार का इस्तेमाल सीएसआईआर ने अपनी महत्वपूर्ण दवा बीजीआर-34 में किया है. 

डायबिटीज के रोगियों के रामबाण
इस औषधीय पौधे गुड़मार में पाए जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में ब्लड शुगर को घटाने की क्षमता है, इसमें मौजूद जिम्नेमिक एसिड आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है. इसका सीधा असर दिमाग पर होता है और व्यक्ति की मीठा खाने की इच्छा में कमी आती है. इससे खून में शुगर की मात्रा अपने आप घट जाती है. इसलिए डायबिटीज के रोगियों के लिए यह दवा रामबाण है. 

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डायबिटीज के अलावा दूसरों रोगों के लिए भी होता है इस्तेमाल
इसी तरह गुड़मार में फ्लेवोनोइड्स और सैपोनिन नामक रसायन भी हैं. ये लिपिड के मेटाबॉलिज्म (उपापचय) को कंट्रोल करते हैं. फ्लेवोनोइड्स में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. सैपोनिन बैड कोलेस्ट्रॉल घटाता है. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रिएटिव रिसर्च थॉट्स (आईजेसीआरटी) में प्रकाशित बिहार के मगध विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने इस अध्ययन में बताया कि ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले तीन औषधीय पौधों में से एक गुड़मार (जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे) है. यह वही औषधि है जिसका इस्तेमाल सदियों से डायबिटीज समेत विभिन्न रोगों के उपचार में हो रहा है.

ब्लड शुगर के साथ मोटापा कम करने में भी असरदार
सीएसआईआर ने डायबिटीज की दवा बीजीआर-34 में गुड़मार को मुख्य अपघटक बनाया है. परिषद ने अपने अनुसंधान के व्यवसायिक उत्पादन का अधिकार एमिल फार्मा को दिया है. एमिल फार्मा के जरिए बाजार में आई इस दवा में गुड़मार का कुछ ऐसा चमत्कारिक औषधीय गुण हैं जो बीजीआर-34 को डायबिटीज के साथ-साथ लिपिड प्रोफाइल को भी नियंत्रित करने में सक्षम बनाते हैं. साल 2022 में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक अध्ययन में यह भी पुष्टि कि है कि बीजीआर-34 ब्लड शुगर के साथ-साथ मोटापा कम करने में भी असरदार है. शरीर के मेटाबॉलिज्म में भी सुधार करती है.

एमिल फार्मा के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि बीजीआर-34 में गुड़मार के साथ साथ दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, मजीठ व मैथिका औषधियां भी शामिल हैं. यह डायबिटीज, लिपिड प्रोफाइल और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाती है. शोधकर्ताओं ने लिखा है कि बीजीआर-34 की तरह डायबिटीज की पहली दवा मेटफॉर्मिन भी एक औषधीय पौधे गैलेगा से बनी है. इसलिए गुड़मार पर और ज्यादा रिसर्च की जानी चाहिए.