बिहार में सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) से बचाने के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत हो चुकी है. सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन HPV मुफ्त में लगाने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया है. देश में पहली बार है जब किसी राज्य में इतनी बड़ी संख्या में बच्चियों को HPV वैक्सीन दी जा रही है. यह टीका 9 से 14 साल की बच्चियों पर प्रभावी होता है. छह महीने के अंतराल पर इसकी दो डोज लेनी होती है. इस टीकाकरण अभियान में बिहार सरकार पर हर साल करीब 150 करोड़ का खर्च आएगा.
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर
बता दें भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है. सर्वाइकल कैंसर कैंसर से होने वाली मौतों में दूसरी सबसे बड़ी वजह भी है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया में सर्वाइकल कैंसर के हर पांच मरीजों में से एक भारत से हैं और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है. सर्वाइकल, कैंसर से होने मौतों के मुख्य कारणों में से एक है. सर्वाइकल कैंसर एडल्ट महिलाओं में कैंसर से होने वाली कुल मौतों का 17% है.
इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश करते हुए सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन को लेकर बड़ा ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए सरकार की तरफ से 9 से 14 साल की लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर का मुफ्त टीका लगाया जाएगा.
एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर का सुरक्षा कवच
सर्वाइकल कैंसर से बचाने वाली वैक्सीन को एचपीवी वैक्सीन कहा जाता है. एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस. ह्यूमन पैपिलोमा वायरस को ही सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. शोध बताते हैं कि सर्वाइकल कैंसर के रोकथाम के लिए बनी वैक्सीन ली जाए तो सर्वाइकल कैंसर के मामलों में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है.
WHO के मुताबिक, इस वैक्सीन की एक या दो डोज दी जानी चाहिए. जिन लोगों की इम्यूनिटी कम है, उन्हें दो या तीन डोज देनी चाहिए.
क्या है सर्वाइकल कैंसर
गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में जब कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं तो सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत होती है. सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है. सर्वाइकल कैंसर HPV (Human Papillomavirus) इंफेक्शन के कारण होता है. महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का बड़ा कारण असुरक्षित और अनेक यौन संबंध बनाना है. सर्वाइकल कैंसर दो तरह के होते हैं. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और एडेनोकार्सिनोमा. लगभग 80% से 90% सर्वाइकल कैंसर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होते हैं, जबकि 10% से 20% एडेनोकार्सिनोमा होते हैं.
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
योनि से पानी जैसा स्त्राव
योनि से खून निकलना
इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग
सामान्य से ज्यादा हैवी और लंबे पीरियड
यूरीनेशन के दौरान दर्द
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और इलाज
नियमित जांच, पैप टेस्टिंग और सुरक्षित यौन संबंध, सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी कदम है. सर्वाइकल कैंसर के लिए सर्जरी, रेडिएशन थैरेपी और कीमोथेरेपी मुख्य उपचार हैं. सर्वाइकल कैंसर खतरनाक और जानलेवा तभी बनता है, जब समय रहते पकड़ में न आए. इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान करें और इलाज करवाएं.
सर्वाइकल कैंसर से जुड़े कुछ मिथक
मिथक 1: आपको हर साल Pap टेस्ट कराने की जरूरत है.
फैक्ट: अगर आपके पैप और HPV टेस्ट पहले नॉर्मल रहे हैं, तो आपको हर साल इन्हें करवाने की जरूरत नहीं है. आपकी उम्र के आधार पर शेड्यूल अलग-अलग होता है. उदाहरण के लिए, 21 से 29 साल की उम्र तक, यह हर तीन साल में होता है. 30 से 64 साल की उम्र तक, यह हर पांच साल में होता है. 65 साल के बाद यह आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. लेकिन किसी भी समस्या का जल्द पता लगाने के लिए अपने डॉक्टर से नियमित जांच कराना हमेशा अच्छा होता है.
मिथक 2: कई सारे पार्टनर से यौन संबंध बनाने वाले लोगों को ही HPV होता है.
फैक्ट: HPV किसी को भी प्रभावित कर सकता है, भले ही उसका केवल एक ही पार्टनर रहा हो. कई लोगों को कभी न कभी HPV होता है लेकिन वे बीमार नहीं पड़ते क्योंकि उनकी इम्युनिटी इससे लड़ती है. ये वायरस त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने पर फैलते हैं.
मिथक 3: यदि आपके परिवार में सर्वाइकल कैंसर है तो आपको केवल स्क्रीनिंग की जरूरत है.
फैक्ट: सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले HPV के कारण होते हैं, जो सेक्स के दौरान फैलता है. पारिवारिक इतिहास मुख्य कारक नहीं है. नियमित जांच और टीके सर्वाइकल कैंसर से बचाव के सर्वोत्तम उपाय हैं.
मिथक 4: सर्वाइकल कैंसर को रोका नहीं जा सकता
फैक्ट: सर्वाइकल कैंसर वास्तव में सबसे ज्यादा रोकथाम योग्य कैंसरों में से एक है. नियमित जांच और टीके इसे जल्दी पकड़ने में मदद कर सकते हैं या इसे होने से रोक सकते हैं.