भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रमुख डॉ बलराम भार्गव ने कहा है कि अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है जो यह साबित करता है कि कोरोना से सुरक्षा के लिए बूस्टर वैक्सीन की डोज जरूरी है. आईसीएमआर के महानिदेशक ने कहा, "सभी वयस्क आबादी को कोविड -19 वैक्सीन की दूसरी डोज लेना आवश्यक है और न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया का टीकाकरण हो, यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है.”
कई लोगों ने केंद्र सरकार से मांगी बूस्टर की अनुमति
हाल ही में खबरें आ रहीं थी कि टीकाकरण पर केंद्र सरकार का शीर्ष विशेषज्ञ पैनल, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई), बूस्टर शॉट्स और बच्चों के टीकाकरण जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नवंबर के अंतिम सप्ताह में बैठक करने वाला है. हाल के दिनों में, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई लोगों ने केंद्र सरकार से बूस्टर की अनुमति देने का निवेदन किया है.
लगभग 82 प्रतिशत योग्य जनसंख्या को मिल चुकी है पहली डोज
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 94 करोड़ योग्य लोगों में से, लगभग 82 प्रतिशत ने कोविड-19 वैक्सीन की अपनी पहली डोज ले ली है, जबकि लगभग 43 प्रतिशत लोगों ने दोनों डोज ले ली हैं. वायरल बीमारी कोरोना के खिलाफ देशव्यापी टीकाकरण अभियान इसी साल 16 जनवरी से शुरू हुआ था. अब तक देश में वैक्सीन की लगभग 1.17 अरब डोजेज दी जा चुकी हैं.
आईसीएमआर के निर्णय पर दिए जाएंगे बूस्टर
बूस्टर डोज के मसले पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में कहा,“केंद्र ऐसे मामले में सीधा फैसला नहीं ले सकता. जब आईसीएमआर कहता है कि बूस्टर शॉट दिए जाने चाहिए, तब हम इस पर विचार करेंगे”. उन्होंने बताया कि अभी उनका लक्ष्य पूरी आबादी का पूर्ण टीकाकरण करना है और एक बार ऐसा हो जाने के बाद बूस्टर पर फैसला लिया जाएगा.
बूस्टर देने का सही समय खोजने के ग्रे ज़ोन में हैं हम: डॉ वी के पॉल
नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल के अनुसार बूस्टर खुराक तब दी जा सकती है, जब भारत के सभी लोगों को दोनों डोजेज मिल जाएं. “हमें अपनी ऊर्जा सभी योग्य लोगों का पूरी तरह टीकाकरण कराने में लगाना चाहिए. हम बूस्टर देने का सही समय खोजने के ग्रे ज़ोन में हैं. हमारे पास टीकों की कमी नहीं है." उन्होंने आगे कहा कि यह दुखद है कि हमारे पास अभी तक कोरोना के खिलाफ कोई कारगर एंटीवायरल दवा नहीं है.