अंगदान से बढ़कर कोई दान नहीं है. इसे महादान कहा जाता है. इससे लोगों को नई जिंदगी मिल सकती है. जीवित और मृत दोनों व्यक्ति अंगदान कर सकते हैं. जीवित व्यक्ति लीवर और किडनी तो मरने के बाद किडनी, हार्ट, लिवर, आंखों का कॉर्निया और पैंक्रियाज डोनेट किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश (UP) के एक बेटा ने मरने के बाद अंगदान कर चार लोगों को नई जिदंगी दे गया.
डॉक्टरों ने कर दिया ब्रेन डेड घोषित
गुजरात के अहमदाबाद स्थित सिविल हॉस्पिटल में 155वा अंगदान हुआ. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले और अहमदाबाद के छत्राल में मजदूरी काम करने वाले उपेंद्र सिंह शिवशंकर 1 जून 2024 को छत्राल में गिर पड़े थे. इसकी वजह से उनके सिर पर गंभीर चोट आई थी.
उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाया गया था. जहा से उन्हें अहमदाबाद स्थित सिविल हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया. सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उपेंद्र सिंह को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. इसके बाद उपेंद्र के घरवालों की अनुमति के बाद जरूरतमंद मरीजों को दो किडनी, लिवर और हार्ट दान में मिले.
घरवालों ने अंगदान करने का लिया निर्णय
32 वर्षीय ब्रेन डेड उपेंद्र के परिवार में मां के अलावा दो भाई और दो बहनें हैं. सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने परिवार के सदस्यों को अंगदान के बारें में जानकारी दी. इसके बाद परिवार ने मिलकर ब्रेन डेड उपेंद्र के अंगदान का निर्णय लिया. ब्रेन डेड उपेंद्र के अंगदान से दो किडनी, लिवर और हार्ट दान में मिले.
155वां अंगदान था
अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल की बात करें तो पिछले साढ़े तीन सालों में ये 155वां अंगदान था. अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर राकेश जोशी ने कहा कि ब्रेन डेड उपेंद्र सिंह के परिवार की अनुमति के बाद प्राप्त किडनी और लीवर मेडीसिटी कैंपस की किडनी हॉस्पिटल में भेजकर जरूरतमंद मरीज में ट्रांस्प्लांट की गई.
अंगदान से प्राप्त हुआ हार्ट युएन महेता हॉस्पिटल में भेजा गया. इस तरह उपेंद्र सिंह ने चार लोगों को नवजीवन दिया है. बता दें कि सिविल हॉस्पिटल में अंगदान की प्रक्रिया पिछले 3.5 सालों से हो रही है. अबतक 155 अंगदाताओं के माध्यम से कुल 501 अंग और 4 स्किन का दान प्राप्त हुआ है. इसके जरिए 485 लोगों को नवजीवन देने में सफलता मिली है.