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Organ Donation: 59 साल की ब्रेन डेड महिला ने 2 मरीजों को दी नई जिंदगी, दान किया लीवर और आंख

15 अगस्त 2023 को देश आजादी का जश्न मना रहा था. उस दिन दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती एक महिला 2 मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई. 59 साल की इस महिला ने अपने अंग दान कर दिए जिससे दो लोगों की ज़िंदगी बचाई जा सकी.

organ donation (symbolic image) organ donation (symbolic image)
हाइलाइट्स
  • शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थी महिला

  • ग्रीन कॉरिडोर की मदद से दूसरे अस्पताल पहुंचाए गए दान किए अंग

15 अगस्त 2023 को देश आजादी का जश्न मना रहा था. उस दिन दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती एक महिला 2 मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई. 59 साल की इस महिला ने अपने अंग दान कर दिए जिससे दो लोगों की ज़िंदगी बचाई जा सकी.

अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, यह महिला किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त थी जिसे अंग्रेजी में Chronic Kidney Disease कहा जाता है. बीमारी के चलते डॉक्टरों ने महिला को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिवार के सदस्यों ने महिला की इच्छा का सम्मान करते हुए महिला का लीवर और आंखें दान करने की सहमति दे दी.

इसके बाद दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मदद से ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया और महिला के अंग दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल और डॉ श्रॉफ आई केयर ले जाए गए. डॉक्टरों ने भी महिला और परिवार के इस कदम की तारीफ की है.

ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से ग्रस्त थी महिला
15 अगस्त को घर पर बेहोश पाए जाने के बाद मरीज को शालीमार बाग के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया. गुर्दे फेल होने और क्रॉनिक किडनी की बीमारी (CKD) से ग्रस्त होने पर  महिला को हेमोडायलिसिस और लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था. इंट्राक्रैनियल रक्तस्राव यानि ब्रेन में ब्लीडिंग होने के बाद महिला को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था.

महिला के परिवार ने इस स्थिति में साहस का परिचय दिया और दुख की घड़ी में उनकी इच्छाओं का सम्मान करते हुए उनके अंग दान करने की सहमति दी. महिला का लीवर और आंखें दान करने का फैसला किया गया. मेडिकल कारणों  के चलते महिला के दिल और फेफड़ों का दान नहीं किया जा सका. अंगदान के लिए मैक्स अस्पताल और  डॉ श्रॉफ आई केयर को चुना गया. 

परिवार ने दी अंगदान की सहमति
शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर डॉ. हरजीत सिंह महाय के मुताबिक, मरीज को ब्रेन एन्यूरिज़्म (Brain Aneurysm) के कारण इंट्राक्रैनियल ब्लीडिंग होने पर फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तमाम कोशिशों के बावजूद मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने से पहले दिमाग की कोशिकाओं में ब्लीडिंग हुई. ब्लीडिंग ज्यादा होने से मरीज की सेहत बिगड़ती चली गई. तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. फोर्टिस हॉस्पिटल में डायरेक्टर और न्यूरोसर्जरी विभाग की प्रमुख डॉ. सोनल गुप्ता के मुताबिक, मरीज के परिवार ने दुख की इस घड़ी में धैर्य दिखाया और जरूरतमंद मरीजों की जान बचाने के लिए मरीज का लीवर और कॉर्निया (आंखें) दान करने का फैसला किया. 

दिल्ली पुलिस के मदद से बनाया ग्रीन कॉरिडोर
महिला के अंग दूसरे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के सहयोग से दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए. पहला फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग से मैक्स अस्पताल, साकेत तक और दूसरा फोर्टिस शालीमार बाग से डॉ. श्रॉफ आई केयर तक. यह पूरा प्रोसेस डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स के सहयोग से किया गया.

अस्पताल ने जताया परिवार का आभार 
फोर्टिस शालीमार बाग के डॉ दीपक नारंग ने कहा, हम मरीज और उसके परिवार का इस नेक काम के लिए सलाम करते हैं. हमारे डॉक्टरों ने भी समय पर अंगदान की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस सहित सभी टीमों ने इस अंगदान को सफल बनाया. यह अंगदान समाज में लोगों के लिए एक उदाहरण है.