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Buckwheat Health Benefits: व्रत में खाया जाने वाला कुट्टू है बहुत फायदेमंद, जानिए

भारत में कुट्टू का आटा लंबे समय से शिवरात्रि, नवरात्रि और जन्माष्टमी जैसे कई त्योहारों के साथ सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है. इन त्योहारों के दिन केवल कुट्टू से बने खाद्य पदार्थों का ही सेवन किया जाता है.

Kuttu Kuttu
हाइलाइट्स
  • कुट्टू, गेहूं से संबंधित नहीं है

  • यह गेहूं के विपरीत ग्लुटन-फ्री है

हाल ही में, पीएम मोदी ने ग्लोबल मिलेट्स कॉन्फ्रेंस में मिलेट्स के महत्व पर बात की. साथ ही उन्होंने श्रीअन्न जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, समा, कंगनी, कुट्टू आदि के बारे में चर्चा की. कुट्टू यानी कि बकव्हीट... हालांकि, इसके नाम में भले ही व्हीट है पर इसका गेहूं से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. इसे तेलुगु में 'कुट्टू', गुजराती में 'कुट्टी-नो दारो', तमिल में 'कोटू', मलयालम में 'कूटू', मराठी में, 'कुट्टू' और बंगाली में 'तिताफापुर' के नाम से भी जाना जाता है. 

कुट्टू, दरअसल,  उन खाद्य पदार्थों के एक समूह से संबंधित है जिसे आमतौर पर छद्म अनाज कहा जाता है. इनमें अनाज के समान गुण होते हैं लेकिन ये घास फैमिली से नहीं आते हैं. कुट्टू, गेहूं से संबंधित नहीं है. क्योंकि यह गेहूं के विपरीत ग्लुटन-फ्री है. इसमें कम कैलोरी हैं जबकि कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में हैं. 

कहां हुई कुट्टू की उत्पत्ति 
कुट्टू की उत्पत्ति लगभग 5000 साल पहले दक्षिण पूर्व एशिया में हुई थी. वहां से यह मध्य एशिया, मध्य पूर्व और फिर यूरोप में फैल गया. इसे अंततः 1600 के दशक में उत्तरी अमेरिका में लाया गया था. बात अगर भारत की करें तो कुट्टू के सबसे बड़े उत्पादक राज्य जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, कारगिल, गुरेज घाटी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश हैं. 

कुट्टू एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है जो बोने के 4 सप्ताह बाद फूल देना शुरू करता है और 10 से 12 सप्ताह में अनाज पैदा करता है. इसे गर्मियों में अगस्त के मध्य तक लगाया जा सकता है. अगर कुट्टू को एक कवर फसल के रूप में बोया जाता है, तो इसे शुरुआती गर्मियों या वसंत के अंत में लगाया जा सकता है. 

कुट्टू के फायदे
आपको बता दें कि सभी मिलेट्स की तरह कुट्टू के भी बहुत से फायदे हैं. 

  • कुट्टू वजन घटाने में काफी मददगार हो सकता है. इसमें कम कैलोरी होती है और यह सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होता है. कुट्टू से आपका ब्लड शुगर कंट्रोल होता है और पाचन शक्ति अच्छी होती है. 
  • मैग्नीशियम से भरपूर होने के कारण, कुट्टू ब्लड प्रेशर में सुधार करने में मदद करता है. यह बिना किसी दवा के स्वाभाविक रूप से BP को कम करता है.
  • कैलोरी में कम और फैट-फ्री, कुट्टू डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत ही बढ़िया है. यह फाइबर से भरपूर होता है जो शरीर में ब्लड शुगर को कम करता है और इससे डायबिटीज मैनेजमेंट में मदद मिलती है.
  • इसमें आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में महत्वपूर्ण घटकों में से एक है. आयरन की कमी से एनीमिया होता है, जो थकान, सिरदर्द और अन्य गंभीर दुष्प्रभावों का कारण बन सकता है. 

हर किसी को नहीं करता सूट
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कुट्टू का आटा हर किसी को सूट नहीं करता है. भारत में कुट्टू के आटे को ज्यादातार व्रत-त्योहार पर खाया जाता है. और कुट्टू की तासीर गर्म होती है. ऐसे में कभी-कभी खाने पर आपको परेशानी हो सकती है. कई बार कुट्टू की डिशेज खाकर पेट खराब हो जाता है. इसलिए कुट्टू को प्रयोग करते समय ध्यान रखें. 

कुट्टू के आटे से डिशेज देशी घी में बनाएं और इसे ज्यादा न तलें. साथ ही, कुट्टू का आटा खरीदते समय ध्यान दें कि यह बहुत पुराना न हो. किसी अच्छे ब्रांड से ही आपको आटा लेना चाहिए या फिर आप खुद इसे पिसवाएं. कुट्टू के आटे को हमेशा एयरटाइट जार में स्टोर करें.