कैडिला फार्मास्युटिकल्स रेबीज से बचाव के लिए एक ऐसे टीके का निर्माण कर रही है जो रेबीज के खतरे को कम करता है. केंद्र और राज्य सरकारें और कंपनी इस टीके के बारे में बातचीत कर रही हैं. इस टीके की दोनों खुराक को 7 दिनों के अंदर लगाया जाता है. इसकी एक डोज की कीमत 750 रुपये होगी. वैक्सीन जी प्रोटीन को मिलाकर वायरस जैसी पार्टिकल तकनीक से तैयार की गई है. यह वैक्सीन पारंपरिक वैक्सीन से बहुत अलग है.
खतरनाक बीमारी है रेबीज
मौजूदा समय में रेबीज के टीके की पांच खुराकें हैं. जोकि एक महीने तक दी जाती है. नए टीके की निर्माता कंपनी ने कहा है कि ये टीका रेबीज के कारण होने वाली मौतों को रोकने में मदद कर सकता है. हाल ही में रेबीज से काफी मौतें हुई हैं. रेबीज एक खतरनाक बीमारी है जो घातक हो सकती है लेकिन इसे रोका भी जा सकता है.
नई वैक्सीन के बारे में जानिए
ऐसे कई मामले हैं जहां लोग रेबीज के टीके की पूरी खुराक नहीं लेते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक करीब 40 फीसदी आबादी रेबीज का कोर्स पूरा नहीं कर पाती है, क्योंकि रेबीज का टीका महीने भर अलग-अलग दिनों के अंतराल में लगाया जाता है. ऐसे में ज्यादातर लोग एक-दो टीका लेने के बाद छोड़ देते हैं, यही वजह है कि भारत में रेबीज की मृत्यु दर ज्यादा है. दुनियाभर में हर साल लगभग 59,000 लोगों की रेबीज के संक्रमण से मौत होती है, जिसमें से 20,000 मौतें अकेले भारत में होती हैं.
28 दिनों के भीतर लगाए जाते हैं टीके
वर्तमान में उपलब्ध टीके 0, 3, 7, 14 और 28 दिनों पर दिए जाते हैं. इस वैक्सीन को 'थरबीस' नाम दिया गया है। इसे विकसित करने में 12 साल लगे हैं. भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) से इसे मंजूरी भी मिल चुकी है. तीन खुराक वाला ये टीका गेम चेंजर हो सकता है और कई लोगों की जान बचा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, कैडिला ने चरण- I/II और चरण- III का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. नए टीकों का उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है.