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Calcium carbide से पके फल क्यों होते हैं सेहत के लिए हानिकारक? केमिकल से पकाए गए फलों की ऐसे करें पहचान

एफएसएसएआई की मानें तो आम को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल पर साल 2011 से बैन लगा हुआ है, लेकिन आम को पकाने के लिए इस केमिकल का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है, इससे आम खाने वाले लोगों की सेहत को गंभीर नुकसान हो सकता है.

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हाइलाइट्स
  • कैल्शियम कार्बाइड एक केमिकल है.

  • कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल पर साल 2011 से बैन लगा हुआ है.

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने फलों को (खासतौर पर आम) पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल करने को लेकर चेतावनी जारी की है. एफएसएसएआई की मानें तो आम को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल पर साल 2011 से बैन लगा हुआ है, लेकिन आम को पकाने के लिए इस केमिकल का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है, इससे आम खाने वाले लोगों की सेहत को गंभीर नुकसान हो सकता है. आज आपको बताएंगे कि इस केमिकल से कौन सी परेशानियां हो सकती हैं और कैसे केमिकल से पकाए आम की पहचान की जा सकती है.

कैल्शियम कार्बाइड क्या है?

कैल्शियम कार्बाइड एसिटिलीन गैस छोड़ता है, जिसमें आर्सेनिक और फास्फोरस के अंश होते हैं. इन मिनिरल्स का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. अगर फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड या कार्बाइड गैस का इस्तेमाल किया जाता है, तो यह उन पर आर्सेनिक और फास्फोरस के अवशेष छोड़ सकता है. इन खतरनाक तत्वों को Masala के नाम से भी जाना जाता है. 

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फलों को पकाने के लिए इसका उपयोग क्यों नहीं किया जाना चाहिए?

इसकी वजह से चक्कर आना, बार-बार प्यास लगना, जलन, कमजोरी, निगलने में कठिनाई, उल्टी और त्वचा के अल्सर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए फल खाने से लीवर और गुर्दा खराब हो सकता है. अगर ऐसे फलों को लंबे समय तक खाया जाए तो कैंसर भी हो सकता है.

फलों को पकाने के लिए क्या उपयोग किया जा सकता है?

FSSAI ने फलों को पकाने के लिए एथिलीन गैस का इस्तेमाल करने की अनुमति दी है. एथिलीन, फलों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक हार्मोन है, जो रासायनिक और जैव रासायनिक गतिविधियों की एक श्रृंखला को शुरू और नियंत्रित करके पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है. फलों को पकाने की राइपनिंग तकनीक सबसे आधुनिक और नुकसान रहित मानी गई है. इस तकनीक में छोटे-छोटे चैंबर वाला कोल्ड स्टोरेज बना कर फलों को रखा जाता है और उनमें एथिलीन छोड़ दी जाती है. इससे फल पकने लगते हैं. इससे फलों में खतरनाक केमिकल भी नहीं मिल पाते.

कैसे पहचानें केमिकल से पके आम

यदि आप आम खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले उसके आकार को देखें. केमिकल से पका हुआ आम छिलके से गुठली की तरफ पकता है. केमिकल से पके हुए आम का साइज पेड़ पर पके आम से बड़ा होगा. इसके अलावा आप आम की बनावट देखें और इनका रंग देखें. अगर यह हद से ज्यादा पीला दिख रहा है, तो आप ऐसे आम खरीदने से बचें. इसके अलावा कार्बाइड से पकाए गए आमों पर काले और सफेद धब्बे नजर आते हैं.