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Cancer Treatment: कैंसर का इलाज हुआ संभव, अमेरिकी दवा से 6 महीने में ही ठीक हो गई बीमारी

Cancer Treatment News: यह दवा अमेरिका ने बनाई है. ये दवा शरीर में पहुंचकर सब्स्टीट्यूट एंटीबॉडीज की तरह काम करती है. कैंसर सेंटर के डॉ लुइस ए डियाज जे के मुताबिक ये कैंसर के इतिहास में पहली बार हुआ है.

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हाइलाइट्स
  • मेडिकल जगत है इससे हैरान

  • बड़े पैमाने पर है टेस्ट की जरूरत

कैंसर को एक ऐसी बीमारी के रूप में जाना जाता है जिसका इलाज अभी दुनिया में मौजूद नहीं है. तो क्या अब कैंसर को ठीक करने वाली दवा तैयार हो गई है? क्या दुनिया तो कैंसर का इलाज़ मिल गया है? मतलब क्या अब कैंसर से जिंदगी बचाई जा सकती है? जवाब है हां! कम से कम अमेरिका में हुए एक प्रयोग से तो यही लगता है. न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेक्टल कैंसर से जूझ रहे एक ग्रुप के साथ एक चमत्कार हुआ है. 

क्या पता गया रिसर्च में?

आपको बता दें, प्रयोग के तौर एक इलाज में इन मरीजों का कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया और इन्हें नया जीवन मिल गया. इस छोटे से क्लिनिकल ट्रायल में 18 मरीजों को शामिल किया गया था, जिन्हें छह महीनों के लिए डोस्टरलिमैब (Dostarlimab) नामक एक दवा दी गई. छह महीने के बाद इन सभी लोगों का कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया.

कैसे बनाया गया है इस दवा को?

न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डोस्टरलिमैब नाम की इस दवा लैब में बनाए गए अणुओं से तैयार किया गया है. यह दवा शरीर में पहुंचकर सब्स्टीट्यूट एंटीबॉडीज की तरह काम करती है. इस प्रयोग में  रेक्टल कैंसर से एक समान लेवल पर जूझ रहे सभी मरीजों को एक ही दवा दी गई थी. 6 महीने बाद जो नतीजे आये वे बेहद चौकाने वाले थे. दावा किया जा रहा है कि इस इलाज से छह महीने के बाद सभी मरीजों का कैंसर पूरी तरह गायब हो गया. न्यूयॉर्क के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉ लुइस ए डियाज जे ने कहा कि यह कैंसर के इतिहास में पहली बार हुआ है.

मेडिकल जगत हैरान

रिपोर्ट के मुताबिक, क्लिनिकल ट्रायल में शामिल मरीज इससे पहले कैंसर से छुटकारा पाने के लिए लंबे और तकलीफदेह इलाजों से गुजर रहे थे. मरीजों को कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी से गुजरना पड़ रहा था. 18 मरीज ये सोचकर ट्रायल में शामिल हुए थे कि ये उनके इलाज का अगला चरण है. हालांकि उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि अब उन्हें आगे इलाज की कोई जरूरत नहीं है. क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों ने मेडिकल जगत को आश्चर्य में डाल दिया है.

'कोई साइड इफेक्ट नहीं'

मीडिया से बात करते हुए यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में कोलोरेक्टल कैंसर विशेषज्ञ डॉ. एलन पी. वेनुक ने कहा कि सभी मरीजों का पूरी तरह ठीक होना 'अभूतपूर्व' है. उन्होंने इस रिसर्च को विश्वस्तरीय बताया है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह खासतौर पर प्रभावशाली इसलिए है क्योंकि किसी भी मरीज में ट्रायल ड्रग के साइड इफेक्ट नहीं देखे गए. रिसर्च पेपर की को-ऑर्थर ने बताया कि जब रोगियों को पता चला कि उनका कैंसर पूरी तरह से ठीक हो चुका है. न्यूयॉर्क टाइम्स से उन्होंने कहा, 'उन सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे.'

बड़े पैमाने पर है टेस्ट की जरूरत

ट्रायल के दौरान मरीजों को छह महीने तक हर तीसरे हफ्ते दवा दी गई. वे सभी कैंसर के एकसमान स्टेज पर थे. यह उनके रेक्टम में फैल गया था लेकिन इसने दूसरे अंगों को प्रभावित नहीं किया था. दिल्ली के कैंसर एक्सपर्ट डॉक्टर माजिद अहमद कहते हैं कि ये खुशखबरी है लेकिन इसके लिए अभी और इंतजार करना होगा क्योंकि ये प्रयोग बहुत छोटे सैंपल पर किया गया है. वैसे इस बात का ख्याल भी रखा जाना चाहिए कि जिन मरीजों को ये दवा दी गई उनकी पहले से ही कीमो और दूसरे इलाज हो रहे थे ऐसे में ये भी कहना मुश्किल है कि ये सिर्फ इसी दवा का असर है.