
अब कैंसर पीड़ितों को इलाज पर ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे. बस कुछ हजारों में इलाज हो जाएगा. राजस्थान में देसी तकनीक से कैंसर की वैक्सीन (Cancer Vaccine) तैयार की जा रही है, जो महज 10 हजार रुपए के खर्च में कैंसर का इलाज करने में सक्षम होगी. अभी विदेशों में कैंसर के इलाज के लिए करीब 25 लाख रुपए तक का खर्च करने पड़ते हैं.
जयपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज को डेंड्रिटिक सेल वैक्सीन बनाने की अनुमति मिल गई है. इसपर लगातार काम चल रहा है. इस वैक्सीन से पांच तरह के कैंसर का इलाज होगा और यह कैंसर की स्वदेशी वैक्सीन होगी.
डेंड्रिटिक सेल वैक्सीन
पिछले करीब 27 सालों से इस वैक्सीन पर रिसर्च चल रहा है. वैक्सीन पर शोध कर रहे महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी जयपुर के सेंटर ऑफ कैंसर इम्यूनोथेरेपी के निदेशक डॉ. अनिल सूरी का कहना है कि 27 सालों के रिसर्च के बाद इस वैंक्सीन तक पहुंचे हैं.
डॉ. अनिल सूरी का कहना है कि ये डेंड्रिटिक सेल वैक्सीन एक इम्युनोथैरेपी आधारित कैंसर वैक्सीन है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित करती है. डॉ. सूरी के मुताबिक इस वैक्सीन को व्यक्तिगत रूप से तैयार किया जाता है. हर मरीज के कैंसर टाइप के हिसाब से इस वैक्सीन को तैयार किया जाएगा, जो कैंसर के महंगे इलाज का विकल्प बन सकेगी.
कैसे काम करेगी वैक्सीन
डॉ. सूरी के मुताबिक इलाज के प्रोसेस में मरीज के शरीर से डेंड्रिटिक कोशिकाएं निकाली जाती हैं. डेंड्रिटिक सेल इम्युनिटी सिस्टम में मौजूद सफेद कोशिकाओं का एक प्रकार होता है, ये इम्युनिटी सिस्टम को सक्रिय करने में मदद करती है. डॉ. सूरी के अनुसार वैक्सीन बनाने के लिए मरीज के बल्ड से डेंड्रिटिक सेल निकाली जाती है.
पहले चरण में इन डेंड्रिटिक कोशिकाओं को लैब में कैंसर कोशिकाओं से संपर्क करवाकर उन्हें कैंसर की पहचान करवाना सिखाया जाता है. इन्हें ट्यूमर एंटीजन के साथ ट्रेंड किया जाता है ताकि वो शरीर में जाकर कैंसर कोशिकाओं को पहचान सकें. इसके बाद ट्रेंड की गई डेंड्रिटिक सेल को शरीर के वापस इंजेक्ट करवाया जाएगा. ये सेल टी-सेल (रोग प्रतिरोधक सेल) को सक्रिय करेगी, जो सीधे कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देंगी.
2027 तक मार्केट में आ सकती है वैक्सीन
डॉ. सूरी के मुताबिक साल 1998 में इस वैक्सीन की खोज की गई थी. पिछले 27 वर्षों से इस पर काम चल रहा है. सभी तरह के शोध पेटेंट हमारे पास हैं. यह वैक्सीन फिलहाल फेज-2 में है. पहले चरण में सुरक्षा मानकों की जांच की गई थी. अब इसके प्रभाव की पुष्टि की जा रही है. साल 2027 तक यह वैक्सीन मार्केट में आ सकती है.
(शरत कुमार की रिपोर्ट)