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Explainer: कैसे करें 'साइलेंट किलर' High Cholesterol को मैनेज, पहली बार जारी हुई भारत की गाइडलाइन्स

कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (CSI) ने हाल ही में, डिस्लिपिडेमिया (High Cholesterol) मैनेजमेंट के लिए अपने पहले दिशानिर्देश जारी किए. युवा भारतीयों में हार्ट अटैक से हो रही मौतों को देखते हुए यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.

High Cholesterol (Representational Image) High Cholesterol (Representational Image)

हाल-फिलहाल में आपने ऐसे बहुत से मामले सुने होंगे जिनमें कम उम्र के युवाओं की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. पिछले कुछ सालों से भारत में देखा जा रहा है कि युवा लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं. बहुत से भारतीय आज कार्डियोवस्कुलर डीजीज (CVD) यानी दिल से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं, जिसमें स्ट्रोक और दिल के दौरे शामिल हैं.

एक्सपर्ट्स की माने तो डिस्लिपिडेमिया, या हाई कोलेस्ट्रॉल, सीवीडी के पीछे सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है. हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के बारे में लोगों की चिंताओं के बीच, कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (CSI) ने डिस्लिपिडेमिया के मैनेजमेंट के लिए भारतीयों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. यह पहली बार है जब भारतीय के लिए इस तरह की गाइडलाइंस जारी हुई हैं. 

डिस्लिपिडेमिया क्या है?
डिस्लिपिडेमिया को हाइपरलिपिडेमिया या हाई कोलेस्ट्रॉल के रूप में भी जाना जाता है, इसका मतलब है कि आपके ब्लड में लिपिड (फैट) का असामान्य लेवल है. क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, बहुत ज्यादा लिपिड हानिकारक होते हैं क्योंकि वे आर्टरीज में रुकावट हन सकते हैं जिससे शरीर में ब्लड फ्लो रुक सकता है.

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कम डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (LDL) या खराब कोलेस्ट्रॉल "सबसे ज्यादा हानिकारक है क्योंकि यह आपकी ब्लड वेसल्स के अंदर ठोस कोलेस्ट्रॉल डिपोजिट्स (प्लाक) को इकट्ठा करने का कारण बनता है. इससे आपके ब्लड का फ्लो करना मुश्किल हो जाता है, और आपको स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है. 

अगर हाई कोलेस्ट्रॉल का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह कोरोनरी हार्ट डीजीज, कैरोटिड आर्टरी डीजीज, अचानक कार्डियक अरेस्ट, और माइक्रोवस्कुलर डीजीज का कारण बन सकता है. इसका इलाज जीवनशैली में बदलाव करके किया जा सकता है, जिसमें एक्सरसाइज करना, हेल्दी डाइट खाना और धूम्रपान छोड़ना शामिल है. कुछ लोगों को दवाओं की भी जरूरत हो सकती है

क्या कहती है भारत की गाइडलाइंस?
CSI ने आंशिक रूप से यूरोपीय दिशानिर्देशों पर आधारित गाइडलाइन्स जारी की हैं लेकिन भारतीयों के लिए इनमें बदलाव किया गया है. ये गाइडलाइंस 'द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल' में प्रकाशित एक 2023 की स्टडी के मद्देनजर आई हैं, जिसमें भारत में डिस्लिपिडेमिया की व्यापकता 81.2 प्रतिशत पाई गई थी.

1. 22 सदस्यीय सीएसआई ने कहा है कि आम जनता और कम रिस्क वाले लोगों के लिए कोलेस्ट्रॉल का लेवल 100 मिलीग्राम/डीएल (मिलीग्राम शुगर प्रति डेसीलीटर) से कम होना चाहिए. दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, यह भी सिफारिश की गई है कि वे नॉन-एचडीएल-सी (कुल कोलेस्ट्रॉल माइनस गुड कोलेस्ट्रॉल) का स्तर 130 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम बनाए रखें. 

2. डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसे हाई रिस्क वाले लोगों के लिए, गाइडलाइंस में LDL-C (कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन-कोलेस्ट्रॉल या खराब कोलेस्ट्रॉल) का लक्ष्य 70 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से नीचे और नॉन-एचडीएल-सी का लक्ष्य 100 मिलीग्राम/डीएल से नीचे निर्धारित किया गया है. 

3. दिशानिर्देशों के अनुसार, बहुत ज्यादा हाई-रिस्क वाले व्यक्तियों, जैसे कि जिन्हें दिल का दौरा, एनजाइना, स्ट्रोक या क्रोनिक किडनी बीमारी का इतिहास है, उन्हें एलडीएल-सी का स्तर 55 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम और नॉन-एचडीएल-सी स्तर का लक्ष्य 85 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से नीचे रखना चाहिए. 

4. नए दिशानिर्देशों ने पारंपरिक उपवास (Fasting) माप से एक बदलाव के बारे में भी बताया है. सीएसआई ने रिस्क को मापने और ट्रीटमेंट के लिए नॉन-फास्टिंग लिपिड माप (Measurements) का सुझाव दिया है. 

5. सीएसआई ने कथित तौर पर चेतावनी दी है कि जिन लोगों को दो साल के भीतर पेरिफेरल आर्टरी डीजीज और एथेरोस्क्लेरोसिस जैसी बार-बार होने वाली वस्कुलर घटनाएं हुई हैं, तो उन्हें हार्ट की बीमारी होन की ज्यादा संभावना है. 

6. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पहला लिपिड प्रोफाइल 18 वर्ष या उससे कम उम्र में उन लोगों के लिए किया जाना चाहिए जिनके परिवार में समय से पहले दिल की बीमारी या हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया - खराब कोलेस्ट्रॉल के हाई लेवल का इतिहास है. 

7. CSI हाई ट्राइग्लिसराइड्स (150 मिलीग्राम/डीएल से अधिक), नॉन एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों के लिए लाइफस्टाइल की आदतों में तुरंत बदलाव और उनके ट्रीटमेंट की सिफारिश करता है. 

डॉक्टरों का कहना है कि डिस्लिपिडेमिया मैनेजमेंट के लिए डाइट और लाइफस्टाइल मुख्य आधार हैं. इसका मतलब है कि अगर आप हाई कॉलेस्ट्रोल को मैनेज करना चाहते हैं तो आप अपने रहने, सोने और खान-पान के तरीकों को हेल्दी रखना होगा.