देश भर में आज जहां 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगना शुरू हो गई है. वहीं दूसरी ओर भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने कोवैक्सिन की शेल्फ लाइफ को 9 से बढ़ाकर 12 महीने करने की मंजूरी दे दी है. DCGI की मंजूरी तब मिली जब अध्ययनों से पता चला कि टीका 12 महीने तक अच्छी तरह से काम करता है.
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने कोवैक्सिन की शेल्फ लाइफ को 9 महीने से बढ़ाकर 12 महीने करने की मंजूरी दे दी है. इसी तरह 22 फरवरी 2021 को कोविशील्ड की शेल्फ लाइफ को 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने कर दिया गया था. भारत सरकार ने पहले Covaxin और Covishield टीकों की शेल्फ लाइफ को क्रमशः 12 महीने और 9 महीने तक बढ़ाने की मंजूरी दी थी. भारत बायोटेक ने अब Covaxin के इस्तेमाल न किए गए स्टॉक को उठाना शुरू कर दिया है और उन्हें नई एक्स्पाइरी डेट के साथ फिर से लेबल किया जाएगा. इस स्टॉक का इस्तेमाल चल रहे टीकाकरण अभियान और 15-18 आयु वर्ग के बच्चों के टीकाकरण के लिए किया जाएगा.
12 महीने तक होगी कोवैक्सिन की शेल्फ लाइफ
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 25 अक्टूबर 2021 को मेसर्स भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के पत्र के जवाब में कोवैक्सिन की शेल्फ लाइफ बढ़ाने को मंजूरी दे दी. अब इसकी शेल्फ लाइफ 9 महीने की जगह 12 महीने तक होगी. इसी तरह, CDSCO ने 22 फरवरी 2021 को कोविशील्ड की शेल्फ लाइफ को 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने कर दिया था. वैक्सीन निर्माताओं द्वारा प्रस्तुत डेटा के व्यापक विश्लेषण और परीक्षण के आधार पर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन द्वारा टीकों के शेल्फ लाइफ को बढ़ाया जाता है. हर टीके की खुराक की एक्स्पाइरी डेट होती है. शेल्फ लाइफ का निर्धारण विभिन्न परीक्षणों के बाद किया जाता है ताकि यह आकलन किया जा सके कि एक टीका कितने समय तक विभिन्न वातावरणों और तापमानों में स्थिर रह सकता है.
सरकार ने एक्सपायर्ड टीके लगाने के आरोपों को किया खारिज
वहीं दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि देश में COVID-19 टीकाकरण तहत के तहत एक्सपायर्ड टीके लगाए जा रहे हैं. सरकार ने इन सभी खबरों को गलत और भ्रामक बताया. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया है कि भारत में कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के तहत एक्सपायर्ड टीके लगाए जा रहे हैं. यह गलत और भ्रामक है और अधूरी जानकारी पर आधारित है."