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अब आपके बच्चे का मिड-डे मील होगा और भी पोषक, जानें कैसे?

28 अक्टूबर को स्कूल शिक्षा सचिव अनीता करवाल और कृषि एवं किसान कल्याण सचिव संजय अग्रवाल ने एक संयुक्त जारी किया. अपने पत्र में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि जागरूकता और उपलब्धता की कमी के कारण बाजरा की खपत कम रहती है. साथ ही उस पत्र में बच्चों के स्वास्थ को लेकर भी चिंता जताई गई है.

 केंद्र सरकार ने मिड-डे मील में बाजरा खिलाने के दिया निर्देश केंद्र सरकार ने मिड-डे मील में बाजरा खिलाने के दिया निर्देश
हाइलाइट्स
  • केंद्र सरकार ने मिड-डे मील में बाजरा खिलाने के दिया निर्देश

  • मिड-डे मील योजना को अब पीएम पोषण के रूप में जाना जाता है

बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की "गंभीर" समस्या को मद्देनजर रखते हुए, केंद्र सरकार ने राज्यों से मिड-डे मील योजना में बाजरा या पोषक अनाज देने के निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि मिड-डे मील योजना को अब पीएम पोषण के रूप में जाना जाता है.

पोषक तत्वों से भरपूर होगी बच्चों का खाना
बाजरा या पोषक अनाज, जिसमें ज्वार, बाजरा और रागी शामिल हैं, खनिजों और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन के साथ-साथ प्रोटीन और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं. जिस कारण इसे बच्चों के पोषण संबंधी परिणामों में सुधार लाने के लिए एक बेहतर विकल्प माना जात है. 28 अक्टूबर को स्कूल शिक्षा सचिव अनीता करवाल और कृषि एवं किसान कल्याण सचिव संजय अग्रवाल ने एक संयुक्त जारी किया. अपने पत्र में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि जागरूकता और उपलब्धता की कमी के कारण बाजरा की खपत कम रहती है. साथ ही उस पत्र में बच्चों के स्वास्थ को लेकर भी चिंता जताई गई है. 
पत्र में आगे लिखा है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-IV के अनुसार, पांच वर्ष से कम आयु के 38 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं और 59 प्रतिशत बच्चे एनीमिक हैं, जो एक गंभीर समस्या है. भारत सरकार इसे सुधारने के लिए कई पहल कर रही है. कुपोषण और एनीमिया को कम करने के लिए पहल करने की श्रृंखला में से एक ये है कि भारत सरकार बाजरा की खपत पर जोर दे रही है.

नीति आयोग भी कर चुका है पहल
नीति आयोग भी मिड-डे मिल से चावल और गेहूं से हटाकर मील में बाजरे को शामिल करने की मांग कर चुका है. यहां तक कि 2019 में, नीति आयोग ने कर्नाटक के चार स्कूलों में किशोरों के बीच एक अध्ययन के आधार पर बाजरा के लाभों को दर्शाने वाली एक रिपोर्ट भी जारी की थी. अध्ययन में बाजरा खिलाए गए बच्चों में स्टंटिंग और बॉडी मास इंडेक्स में "सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण सुधार" पाया गया था. बता दें कि भारत ने 2023 को बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव को यूएन जेनेरल असेंबली के आगे पेश किया था. जिसे असेंबली में अपना लिया गया.

केंद्र सरकार ने दिए निर्देश
केंद्र सरकार ने अनुरोध करते हुए कहा कि प्रधान मंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) योजना के तहत मिड-डे मील में बाजरा शुरू करने की संभावनाओं का पता लगाएं. खासकर उन जिलों में जहां बाजरा सांस्कृतिक रूप से खाया जाता हो.  ऐसे जिलों में हफ्ते में एक बार बाजरे पर आधारित मेनू बनाया जा सकता है.

क्या है पीएम पोशन योजना?
पीएम पोशन योजना के तहत केंद्र खाद्यान्न और उनके ट्रांसपोर्ट का खर्चा उठाती है. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मेनू  होता है. बच्चों को बड़े पैमाने पर चावल और गेहूं से तैयार की गई चीजें खिलाई जाती हैं. लेकिन इस योजना में उन जिलों को सपलीमेंट्री न्यूट्रीशन देने का प्रावधान है, जहां पर एनीमिया से ज्यादा बच्चे ग्रस्त हैं. केंद्र ने राज्यों से उच्च स्तर के कुपोषण को दूर करने के लिए फोर्टिफाइड चावल के उपयोग में तेजी लाने का भी अनुरोध किया है. अधिकारियों को उम्मीद है कि एक बार स्कूलों में राज्यों में पूरी क्षमता से काम करना शुरू हो जाएगा, तो फोर्टिफाइड चावल की खपत बढ़ जाएगी.