सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने कमाल कर दिया है. डॉक्टरों ने मरीज की बाईं किडनी निकालकर दाईं तरफ ट्रांसप्लांट कर दिया. इतना ही नहीं, मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है और उसको अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है. डॉक्टरों के लिए ये ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण था. लेकिन इसमें सफलता हासिल की.
दोबारा पेशाब की नली तैयार की-
मरीज की 25 सेंटीमीटर पेशाब की नली गायब थी. इसलिए डॉक्टरों को काफी मेहनत करनी पड़ी. डॉक्टरों ने पेशाब की थैली की कोशिकाओं से दोबारा पेशाब की नली तैयार की और उसे थैली से जोड़ा. इसके बाद किडनी की बाईं तरफ से निकालकर दाईं तरफ प्रत्यारोपित किया. मरीज की दोनों की किडनी दाईं तरफ है और मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है. डिपार्टमेंट ऑफ यूरोलॉजी के चेयरपर्सन डॉ. सुधीर चड्ढा ने बताया कि हमारे सामने विकल्प था कि या तो किडनी हटा दी जाए या आंत का इस्तेमाल करके गायब नली को फिर से बनाया जाए या ऑटो किडनी ट्रांसप्लांट किया जाए. हमने ऑटो किडनी ट्रांसप्लांट को चुना और हम सफल रहे.
डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विपिन त्यागी के मुताबिक इसमें एक चुनौती ये भी थी कि गुर्दा मूत्राशय के करीब था. लेकिन किडनी की ट्यूब और पेशाब की थैली में 4-5 सेंटीमीटर की दूरी थी. इसलिए हमने पेशाब की थैली की दीवार का इस्तेमाल करके 4-5 सेमी की एक नई ट्यूब बनाने का फैसला किया.
एक पेशाब की नली गायब थी-
पिछले महीने 29 साल का मरीज इलाज के लिए पंजाब से सर गंगा राम अस्पताल पहुंचा था. मरीज को पेशाब की नली में पथरी की परेशानी थी. पंजाब के स्थानीय डॉक्टरों ने पथरी निकालने की कोशिश की थी. लेकिन इससे समस्या और भी बढ़ गई. पथरी के साथ 25-26 सेंटीमीटर पेशाब की नली भी बाहर आ गई. बाईं किडनी को पेशाब की थैली से जोड़ने वाली नली पूरी तरह से गायब हो चुकी थी.
जब मरीज सर गंगा राम अस्पताल के यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट में आया तो डॉक्टर हैरान रह गए. डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विपिन त्यागी ने बताया कि सामान्य मरीज में एक किडनी बाईं तरफ और एक किडनी दाईं तरफ होती है. इन किडनियों को पेशाब नली से जोड़ने वाली दो यूरेटर होता है. लेकिन इस मामले में बाईं किडनी पेशाब की नली के बिना अकेली पड़ी थी.
3 तरह के अंग प्रत्यारोपण होते हैं-
सर गंगा राम अस्पताल के रीनल ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन डॉ. हर्ष जौहरी के मुताबिक अंग प्रत्यारोपण तीन तरह के होते हैं. ऑटो-ट्रांसप्लांट (Auto-Transplant), एलो-ट्रांसप्लांट (Allo-Transplant) और ज़ेनो ट्रांसप्लांट (Xeno Transplant). ऑटो ट्रांसप्लांट में एक इंसान के शरीर के भीतर एक अंग को निकालकर दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करना होता है. एलो-ट्रांसप्लांट में एक व्यक्ति से दूसरे मरीज में अंगों का ट्रांसप्लांट किया जाता है. जबकि जेनो ट्रांसप्लांट में गैर-मानव स्रोत से अंग ट्रांसप्लांट किया जाता है.
ऑटो ट्रांसप्लांट के चुनौतीपूर्ण काम को सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे अस्पताल में छुट्टी मिल गई है.
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