

म्यूजिक कंपोजर और सिंगर अमाल मलिक (Amaal Malik) क्लिनिकल डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. अमाल मलिक ने एक इंस्टा पोस्ट के जरिए ये जानकारी दी. इतना ही नहीं उन्होंने अपने परिवार के साथ भी अपने रिश्ते खत्म कर लिए हैं. अमाल का कहना था कि उनकी फैमिली ने उन्हें हमेशा कमतर महसूस कराया.
हालांकि गुरुवार शाम को किया गया पोस्ट अमाल मलिक ने डिलीट कर दिया और नए पोस्ट में लिखा, ‘आपके प्यार और सपोर्ट के लिए धन्यवाद. ये मेरे लिए बहुत मायने रखता है. मैं सभी से रिक्वेस्ट करता हूं कि मेरी फैमिली को परेशान मत करो. इसे सनसनीखेज ना बनाएं और मेरी कमजोरी को गलत तरह से न दिखाएं. यह मेरे लिए बहुत कठिन समय है. मैं हमेशा अपने परिवार से प्यार करूंगा, लेकिन अभी मैं उनसे दूर हूं. हम भाइयों के बीच कुछ नहीं बदलता, अरमान और मैं एक हैं और हमारे बीच कोई नहीं आ सकता.
क्लिनिकल डिप्रेशन को लेकर अमाल के पोस्ट करने के बाद से ही इस पर चर्चा हो रही है. पिछले साल इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर ग्राहम थोर्प ने भी क्लिनिकल डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या की थी.
क्लिनिकल डिप्रेशन को लेकर GNT ने द माइंड पैटल्स की सीनियर साइकोलॉजिस्ट, मोनिका शर्मा से बात की. क्लिनिकल डिप्रेशन को मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर भी कहते हैं. क्लिनिकल डिप्रेशन सबसे कॉमन मेंटल हेल्थ कंडीशन है.
क्लिनिकल डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन एक मूड-डिसऑर्डर है जो लगातार उदासी की भावना और उन चीजों और गतिविधियों में रुचि की कमी का कारण बनता है जिन्हें आप पहले पसंद करते थे. यह सोचने, याद रखने, खाने और सोने की क्षमता को भी प्रभावित करता है. नौकरी छूटने या तलाक जैसी मुश्किल जीवन स्थितियों पर दुखी होना सामान्य बात है लेकिन डिप्रेशन इस मायने में अलग है. यह लगभग हर दिन बना रहता है और इसमें सिर्फ दुख के अलावा अन्य लक्षण भी शामिल होते हैं.
क्लिनिकल डिप्रेशन से जूझ रहा व्यक्ति कम से कम 2 सप्ताह तक ज़्यादातर दिनों में उदास, कमजोर या बेकार महसूस करता है. साथ ही उसे नींद की समस्या, भूख में बदलाव और ज़्यादातर गतिविधियों में रुचि न होने जैसे अन्य लक्षण भी होते हैं. यह डिप्रेशन का सबसे गंभीर रूप है.
क्लिनिकल डिप्रेशन के सबसे आम लक्षण क्या हैं?
बहुत उदास, खाली या निराश महसूस करना. टीन्स उदास होने के बजाय चिड़चिड़े हो सकते हैं.
उन कामों में रुचि खत्म हो जाना जो पहले खुशी देती थी.
जरूरत से ज्यादा धीरे बोलना, किसी एक्टिविटी का हिस्सा न बनना.
कम ऊर्जा या थकान.
सोने में परेशानी (अनिद्रा) या बहुत ज्यादा सोना (हाइपरसोमनिया).
ध्यान लगाने में परेशानी.
खुद को बेकार या बहुत दोषी महसूस करना.
आत्महत्या के विचार.
क्लिनिकल डिप्रेशन का रोजाना की जिंदगी पर क्या असर पड़ता है?
क्लिनिकल डिप्रेशन रोजाना की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. ऐसे लोग सोशल होने से डरते हैं. वह परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी नहीं निभा पाते. क्लिनिकल डिप्रेशन से सेक्सुअल लाइफ भी प्रभावित हो सकती है. ऐसे लोग मेंटली तौर पर कभी अपने परिवार के लिए मौजूद नहीं हो पाते. इससे जूझ रहे लोगों का स्लीप सायकल भी प्रभावित होता है और भूख पर भी असर पड़ेगा, जिससे उसके दैनिक जीवन में समस्याएं पैदा होंगी.
क्लिनिकल डिप्रेशन की वजह क्या है और इसके जोखिम कारक कौन से हैं?
सेरोटोनिन, नोरेपिनेफ्रिन और डोपामाइन का असंतुलन क्लिनिकल डिप्रेशन के विकास में योगदान देता है. हाल के शोध से पता चलता है कि न्यूरल सर्किट में गड़बड़ी भी क्लिनिकल डिप्रेशन के लिए जिम्मेदार है.
जेनेटिक: अगर किसी के परिवार में (माता-पिता या भाई-बहन) को क्लिनिकल डिप्रेशन है, तो आपमें यह रोग विकसित होने की संभावना ज्यादा होगी.
चाइल्ड ट्रॉमा: चाइल्ड ट्रॉमा की वजह से कई बार क्लिनिकल डिप्रेशन हो सकता है.
जीवन की ऐसी घटनाएं जिन्हें भुलाना मुश्किल: जीवन की ऐसी घटनाएं जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु, मानसिक आघात, नौकरी छूटना, तलाक, अकेलापन और समर्थन की कमी क्लिनिकल डिप्रेशन को जन्म दे सकती है.
आत्महत्या का जोखिम: क्लिनिकल डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों में आत्महत्या का जोखिम और बढ़ जाता है.
ट्रीटमेंट
अगर क्लिनिकल डिप्रेशन का समय पर इलाज न किया जाए तो दैनिक जीवन को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है. व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों से भागने लगता है. इसका उसके करियर पर बहुत बुरा असर पड़ता है.
क्लिनिकल डिप्रेशन के इलाज में टॉक थेरेपी शामिल होती है. मनोवैज्ञानिक से बात की जा सकती है. आपका डॉक्टर आपको बेहतर महसूस करने में मदद कर सकता है.
क्लिनिकल डिप्रेशन के लिए प्रिस्क्रिप्शन दवाएं दी जाती हैं. जिन्हें एंटीडिप्रेसेंट कहा जाता है, मानसिक रसायन विज्ञान को बदलने में मदद कर सकती हैं जो क्लिनिकल डिप्रेशन का कारण बनती हैं. एंटीडिप्रेसेंट के साइड इफेक्ट होते हैं जो अक्सर समय के साथ ठीक हो जाते हैं. सीरियस क्लिनिकल डिप्रेशन के मामले में इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (ECT) बहुत प्रभावी है लेकिन ये इलाज तब प्रयोग में लाया जाता है जब बाकी सभी इलाज प्रभावकारी न रह जाएं.