जैसे-जैसे मौसम वसंत ऋतु में बदल रहा है, ज्यादातर लोग बीमार हो रहे हैं. हालांकि, नॉर्मल खांसी-जुकाम को लोग सर्दी समझने लगे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. ये स्प्रिंग एलर्जी (Spring Allergy) हो सकती है. एक अनुमान के अनुसार देश में हर चार में से एक वयस्क इस एलर्जी से प्रभावित है. हालांकि, ये छींकने और खुजली से शुरू होती है. बढ़ते तापमान और पेड़-पौधों की संख्या कम होने और जलवायु परिवर्तन की वजह से पिछले कुछ सालों की तुलना में एलर्जी के मौसम की शुरुआत करीब 20 दिन पहले होने लगी है. इस बदलाव से कई तरह की बीमारियां होती हैं.
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
वसंत ऋतु की शुरुआत में एलर्जिक राइनाइटिस (Allergic rhinitis) ज्यादा होता है, इसे हे फीवर (hay fever) के रूप में जाना जाता है. वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ मिसिसिपी मेडिकल सेंटर में एलर्जी और इम्यूनोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. गेलेन मार्शल ने इसके कारणों के बारे में बताया है. अलग-अलग मौसम के बदलने से ये एलर्जी हो जाती है. इससे पीड़ित लोग लंबे समय तक बीमार रहते हैं.
सर्दी से स्प्रिंग एलर्जी है अलग
एलर्जी और सर्दी के लक्षणों के बीच अंतर करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. लेकिन कुछ संकेत दोनों को अलग करने में मदद कर सकते हैं. एलर्जी अक्सर आंखों, नाक, गले या कान में खुजली के साथ दिखनी शुरू होती है. साथ में इसमें नाक बंद होना, नाक से पानी टपकना और लगातार खांसी आना भी शामिल है. एलर्जी मुख्य रूप से गंदगी से ट्रिगर होती है. इसमें सूजन और खुजली होने लगती है. इसके विपरीत सर्दी में मांसपेशियों में थकान, जोड़ों में दर्द या बुखार हो सकता है.
स्प्रिंग एलर्जी हो सकती है गंभीर
कई लोगों को बचपन या युवा अवस्था में सीजनल एलर्जी होती है. अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट होने की वजह से भी आप नए एलर्जी फैक्टर्स के संपर्क में आ सकते हैं. या फिर हार्मोनल उतार-चढ़ाव, जैसे कि पुबर्टी, प्रेगनेंसी या मेनोपॉज के दौरान होने वाले उतार-चढ़ाव, एलर्जी के लक्षणों की शुरुआत और गंभीरता को भी प्रभावित कर सकते हैं.
एलर्जी से बचने या इसके लक्षणों को कम करने के लिए आप एंटीहिस्टामाइन और नोज स्टेरॉयड जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं का उपयोग कर सकते हैं. या फिर डॉक्टर की सलाह से आप एलर्जी शॉट्स या गोलियां लेने पर विचार कर सकते हैं.
एलर्जी के मौसम से कैसे निपटें?
जैसे-जैसे एलर्जी का मौसम शुरू होता है, लक्षणों को कम करने के लिए आप ये कदम उठा सकते हैं. घर के अंदर वायु की गुणवत्ता बनाए रखने, साफ-सफाई और व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से उचित दवाओं का उपयोग करने जैसी चीजें आप फॉलो कर सकते हैं. इसके अलावा, आप हेल्थकेयर प्रोफेशनल से भी मदद ले सकते हैं.