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वेंटिलेटर पर 104 दिन बिताकर घर लौटने वाली गीता बाई ने आखिरकार जीत ली कोरोना से जंग

46 साल की गीता बाई येलबर्ग तालुक के बोडरू गांव की रहने वाली हैं. इनका कुल 158 दिनों तक अस्पताल में इलाज चला. इतने लंबे समय तक चल रहे इलाज की वजह से परिवार वालों ने भी उम्मीद तोड़ दी थी. लेकिन आज जब ये अस्पताल से अपने घर आ गयी हैं तो परिवार वालों में खुशी का माहौल है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • कर्नाटक की गीता ने वेंटिलेटर पर बिताए 104 दिन

  • अब पूरी तरह से ठीक होकर लौटी घर

आज कल हर तरफ बस कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर चर्चा होती है. महामारी (Pandemic) इतनी बड़ी है कि पूरी दुनिया इससे जूझ रही है. कहीं राहत है तो कहीं आफत है. हर इंसान खौफ में है. लेकिन इन सबके बीच कुछ राहत की खबरें ऐसी भी होती है जो दिल को सुकून देती हैं. ऐसी ही एक खबर कर्नाटक के कोप्पल जिले से आई है. जहां पर एक  महिला ने  104 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के कोरोना से जंग जीत ली है. महिला के फेफड़े 96 पफीसदी कोरोना वायरस से प्रभावित थे, लेकिन अब वह सक्रंमण से पूरी तरह से ठीक हो गयी है. 

इस महिला ने लड़ाई ना सिर्फ लड़ी बल्कि जीती भी

46 साल की गीता बाई येलबर्ग तालुक के बोडरू गांव की रहने वाली हैं. इनका कुल 158 दिनों तक अस्पताल में इलाज चला. इतने लंबे समय तक चल रहे इलाज की वजह से परिवार वालों ने भी उम्मीद तोड़ दी थी. लेकिन आज जब ये अस्पताल से अपने घर आ गयी हैं तो परिवार वालों में खुशी का माहौल है. गीता बाई ने आईसीयू में वेंटिवेटर पर 2500 घंटे रह कर कोरोना से जंग ना सिर्फ लड़ी है बल्कि जीती भी है. 

ये एक चमत्कार जैसा- डॉक्टर

कोप्पल जिला अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 158 दिनों के लंबे इलाज के बाद कोरोना से उबरने का यह पहला मामला है. डॉक्टरों ने कहा कि अगर कोविड में 80 प्रतिशत फेफड़े खराब होते हैं तो मरीजों के बचने की संभावना बाहद ही कम होती है. गीता बाई के फेफड़े 96 फिसद प्रभावित थे,उनका ठीक हो जाना किसी चमत्कार जैसा है.  उन्हें 3 जुलाई को बेहद ही नाजुक हालत में ज़िला सरकारी अस्पाताल में भर्ती कराया गया था.