कोरोना महामारी ने देश-विदेश में सभी लोगों को परेशान कर रखा है. इस महामारी से बचने के लिए वैज्ञानिकों ने कई सारी वैक्सीन भी बनाईं. हर व्यक्ति ने कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन लगवाने के बाद अब बूस्टर डोज भी लगवा लिया है लेकिन, अभी भी कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. माना जा रहा है कि बूस्टर डोज लगवाने के बावजूद भी शरीर एंटीबॉडी बनाने में सफल नहीं हो पा रहा है.
कोरोना के बढ़ते मामले देखते हुए वैज्ञानिक अभी भी इस बीमारी को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसको देखते हुए ऑस्ट्रेलिया में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड की रिसर्च टीम ने एक नई स्टडी की है. इस स्टडी के अनुसार, वैक्सीन अगर वैक्सीन पैच ( vaccine patch ) की मदद से लगाई जाए तो वो ज्यादा फायदा करेगी.
क्या कहती है स्टडी ?
ऑस्ट्रेलिया में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड की रिसर्च टीम ने Hexapro SARS-CoV-2 नाम की वैक्सीन का परीक्षण चूहों पर किया, जिसमें उन्होंने हाई-डेंसिटी माइक्रोएरे पैच टेक्नोलॉजी ( Vaxxas high-density microarray patch ) का इस्तेमाल किया. यह रिसर्च ब्रिस्बेन बायोटेक्नोलॉजी कंपनी के साथ मिलकर की गई.
सुई के मुताबिक ज्यादा प्रभावी है पैच
स्टडी ये दावा करती है कि वैक्सीन पैच एक साधारण वैक्सीनशन नीडल या सुई के मुताबिक ग्यारह गुना अधिक प्रभावी थी, जो टिका पैच के ज़रिये लगाया गया वो ओमीक्रॉन वायरस का मुकाबला करने में ज्यादा बेहतर साबित हुआ.
जर्नल के सेह लेखक डॉ क्रिस्टोफर मैकमिलन ने लिखा कि हाई-डेंसिटी माइक्रोएरे पैच त्वचा के अंदर जाकर उन हिस्सों में जाती है, जहां हमारे इम्यून सेल्स पाए जाते हैं और वहां से हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है. रिसर्च के दौरान पैच की मदद से लगाई गई वैक्सीन ने वायरस को खत्म कर दिया था और चूहे के अंदर वायरस से लड़ने के लिए इम्युनिटी भी बढ़ाई.
काफी ज्यादा प्रभावशाली है पैच टेक्नोलॉजी
रिसर्च टीम ने कहा की पैच टेक्नोलॉजी सुई से काफी ज्यादा प्रभावशाली है, जिसे हम भविष्य की बीमारियों में इस्तेमाल कर पाएंगे. भविष्य में आने वाली महामारी जैसी स्थितियों में यह माइक्रोएरे पैचेस बहुत काम आएंगे, जिसके लिए कंपनी इन पैचेस को बड़े पैमाने पर बनाने के काम में लग चुकी है.
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