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भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता! बनाई देश की पहली ओमिक्रॉन टेस्टिंग किट, कुल 4 घंटे में लग जाएगा वायरस का पता

सीडीआरआई के डायरेक्टर तापस कुंडू के मुताबिक यह नया वायरस ओमिक्रॉन आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए पकड़ में नहीं आता था, इसके लिए जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाती थी. इसी के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने आरटी-पीसीआर किट ओम की खोज की है.

Omicron Testing kit Omicron Testing kit
हाइलाइट्स
  • कुल 4 घंटे में लगेगा ओमिक्रॉन का पता

  • जल्द होगी लोगों के बीच उपलब्ध

देश में ओमिक्रॉन जांच के लिए सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CDRI) के  वैज्ञानिकों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसी टेस्टिंग किट बनाई है जिसमें 4 घंटे के अंदर ओमिक्रॉन वायरस का पता लगाया जा सकता है, जोकि देश मे पहली स्वदेशी किट है. इस आरटीपीसीआर किट का नाम ओम रखा गया है.

आरटीपीसीआर किट से नहीं लगता ओमिक्रॉन  का पता 

गौरतलब है कि ओमिक्रॉन कोविड-19 का नया वेरिएंट है. जिसको जिनोम सीक्वेंसिंग के जरिए अभी तक पता किया जाता है. जबकि आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए केवल कोविड-19 संक्रमण का पता किया जा सकता था, लेकिन इसे ओमिक्रॉन वेरिएंट की पुष्टि नहीं हो पाती थी. सीडीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने ओमिक्रॉन  की विशिष्ट पहचान के लिए स्वदेशी किट ‘इंडिगो ओम’ का इजाद किया है.

जल्द होगी जनता के बीच उपलब्ध 

सीडीआरआई के डायरेक्टर तापस कुंडू के मुताबिक यह नया वायरस ओमिक्रॉन आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए पकड़ में नहीं आता था, इसके लिए जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाती थी. इसी के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने आरटी-पीसीआर किट ओम की खोज की है. इसे किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में ट्रायल करने के बाद अब जल्द ही जनता के बीच में उपलब्ध कराया जा सकेगा. 

कुल 4 घंटे में लगेगा ओमिक्रॉन का पता 

किट को विकसित करने वाली टीम के लीडर अतुल गोयल कहते हैं कि किट को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सहयोग से बनाया गया है. वे कहते हैं, “हमने तकरीबन 60 दिनों की मेहनत के बाद उसको तैयार किया है, जिससे मात्र 4 घंटे में हम आरटी पीसीआर टेस्ट करके ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगा सकते हैं."

केजीएमसी की माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर अमिताभ जैन कहते हैं, “देखिए बहुत से लोग टेस्टिंग के लिए आते हैं, लेकिन जिस तरीके से सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने टेस्ट किया है ऐसे में ये काफी सफल रही है. उन्होंने हमारे साथ कोआर्डिनेशन किया था, उसके बाद हम लोगों ने मिलकर उसको तैयार किया और टेस्टिंग सफल रही है. हालांकि जब तक यह आम आदमी के हाथ में नहीं आ जाती तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता.ओमिक्रॉन  वेरिएंट अभी तक तो आरटीपीसीआर से नहीं पकड़ा जा सकता."