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पल्स एलेक्ट्रोमैग्नेट थेरेपी, हाइपरबेरिक चैंबर, ऑर्गेनिक डिनर, सॉना सेशन... कुछ ऐसे 150 साल तक जीने का टारगेट रखा है इस कपल ने... जानें क्या है ये इतने समय तक जिंदा रखने वाला Biohacking मेथड? 

कायला, खुद एक बायोहैकिंग एक्सपर्ट हैं. इसके लिए वे वॉरेन की हेल्थ का भी ख्याल रखती हैं. उम्र को बढ़ाने के लिए दोनों का काफी स्ट्रिक्ट प्लान है. पल्स्ड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड थेरेपी (PEMF) से लेकर ओजोन सॉना और हाइपरबेरिक चेंबर तक, कायला और वॉरेन दूसरों से काफी अलग हैं. 

Biohacking Couple (Photo: Social Media) Biohacking Couple (Photo: Social Media)
हाइलाइट्स
  • सुबह से रात तक बायोहैकिंग

  • 150 साल तक जीने का टारगेट रखा है

"मैं तुम्हारा मरते दम तक साथ दूंगी”... ये वचन काफी पॉपुलर है, लेकिन कायला बार्न्स-लेन्ट्ज और वॉरेन लेन्ट्ज के लिए ये वचन थोड़ा  उल्टा है. उनके लिए ये मौत काफी दूर की बात है. अमेरिका के मिडवेस्ट के इस कपल का टारगेट 150 साल तक जीना है. हालांकि, कायला और वॉरेन के लिए ये एक चुनौती की तरह है, जिसके लिए उन्होंने अपना लाइफस्टाइल तक बदल दिया है. उनका मानना है कि अपनी सेहत का ख्याल रखकर जीवन को लंबा किया जा सकता है. 

33 साल की कायला LYV द वेलनेस स्पेस की को-ओनर हैं, जो क्लीवलैंड में स्थित एक प्रिसिशन हेल्थ और लॉन्गेविटी क्लीनिक है. उनके पति वॉरेन 36 साल के हैं और एक मार्केटिंग एजेंसी में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर हैं. दोनों एक ऐसे लाइफस्टाइल का पालन करते हैं जो न केवल उनकी उम्र को बढ़ाएगी बल्कि जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करेगी. इसे एक तरह से बायोहैकिंग कहा जाता है- जिसमें शरीर की बायोलॉजिकल घड़ी को धीमा करने का एक प्रयास किया जाता है. 

कायला, खुद एक बायोहैकिंग एक्सपर्ट हैं. इसके लिए वे वॉरेन की हेल्थ का भी ख्याल रखती हैं. उम्र को बढ़ाने के लिए दोनों का काफी स्ट्रिक्ट प्लान है. पल्स्ड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड थेरेपी (PEMF) से लेकर ओजोन सॉना और हाइपरबेरिक चेंबर तक, कायला और वॉरेन दूसरों से काफी अलग हैं. 

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सुबह से रात तक बायोहैकिंग
कायला और वॉरेन का दिन ज्यादातर लोगों की तरह शुरू नहीं होता. वॉरेन आमतौर पर कायला से पहले उठते हैं, लेकिन दोनों अपने दिन की शुरुआत अपने घर में स्थापित एक क्लिनिकल-ग्रेड डिवाइस से पल्स्ड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड थेरेपी के साथ करते हैं. यह थेरेपी सेल्स को एक्टिव बनाने, सूजन को कम करने और पूरी सेहत को बेहतर करने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का उपयोग किया जाता है.

PEMF थेरेपी से अपने दिन की शुरुआत करके, कपल मानता है कि वे अपने एनर्जी लेवल को रेगुलेट कर रहे हैं और आने वाले दिनों की चुनौतियों के लिए अपने शरीर को तैयार कर रहे हैं.

फोटो- सोशल मीडिया
फोटो- सोशल मीडिया

कैसे गुजरता है दिन?
अपने सुबह के PEMF सेशन के बाद, वे शारीरिक व्यायाम और सुबह सूरज की रोशनी में वॉक करते हैं. सूरज का संपर्क सर्केडियन रिदम को रेगुलेट करने, मूड में सुधार करने और विटामिन डी सिंथेसाइज जो इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी है, में बड़ी भूमिका निभाता है.

नाश्ते के लिए, कायला ऑर्गनिक खाना तैयार करती हैं. वे जितना हो सके प्रोसेस्ड फूड से बचती हैं.

दोपहर में, कायला और वॉरेन ज्यादा समय बाहर बिताने की कोशिश करते हैं. जब वॉरेन घर से काम करते हैं, तो वे कोल्ड प्लंज करते हैं. कोल्ड वॉटर थेरेपी, जिसे क्रायोथेरेपी भी कहा जाता है, सर्कुलेशन में सुधार करने, सूजन को कम करने और मांसपेशियों की रिकवरी में सहायता करने के लिए जानी जाती है. कोल्ड प्लंज मेटाबोलिज्म को भी बढ़ावा दे सकते हैं और ब्रेन को एक्टिव कर सकता है. 

कपल हाइपरबेरिक ऑक्सीजन चेंबर का भी उपयोग करता है. हाइपरबेरिक चेंबर का उपयोग ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है. वे नैनोवी का भी उपयोग करते हैं, जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के कारण रोजमर्रा में जो सेल्स डैमेज होती हैं, उनकी मरम्मत करने का काम करता है. 

शाम में, कायला फिर से आर्गेनिक डिनर बनाती हैं और वे शाम 5:30 बजे के आसपास इसे कर लेते हैं. डिनर के बाद, वे लंबी सैर करते हैं. कपल फिर अपनी वाइंड-डाउन रूटीन शुरू करता है, जिसमें उनके ओजोन सॉना में एक सेशन शामिल है. ओजोन थेरेपी का उपयोग ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने, शरीर को डिटॉक्सिफाई करने और इम्यून सिस्टम को बेहतर करने के लिए किया जाता है. 

रात में वे अपने घर की लाइट्स को रेड लाइट में बदल देते हैं, जो बेहतर नींद, आंखों के स्ट्रेस को कम करने का काम करती हैं. रेड लाइट एक्सपोजर शरीर को रेस्ट देने में मदद करता है. रात 9 बजे तक वे दोनों सो जाते हैं. 

क्या 150 साल तक जीना मुमकिन है? 
कायला बार्न्स-लेन्ट्ज और वॉरेन लेन्ट्ज का ये प्रयास काफी साहसी है. उनके बायोहैकिंग तरीकों ने एक नई चर्चा शुरू कर दी है. क्या हम सभी 150 साल तक जी सकते हैं? शायद नहीं. लेकिन कायला और वॉरेन की यात्रा ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि हम अपने जीवन के हर दिन को कैसे बेहतर बना सकते हैं, भले ही वो केवल छोटी-छोटी आदतों में परिवर्तन करके ही क्यों न हो.