बूस्टर डोज (Booster Dose) कितनी कारगर है और कितनी सुरक्षित है इसको लेकर लंबी बहस चल रही है. दुनिया भर के वैज्ञानिक इसी रिसर्च में लगे हैं कि कोविड-19 की कोई ऐसी डोज बनाई जाए जिससे पुरी तरह संक्रमित होने से बचा जा सके. अब रिसर्च में सामने आया है कि बूस्टर डोज पूरी तरह सुरक्षित है. द लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन (Lancet respiratory Medicine) में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, कोविड-19 (COVID-19) वैक्सीन की बूस्टर डोज सुरक्षित है. ये स्टडी स्मार्टवॉच की मदद से की गई है. जिसमें दिल के हाव-भावों की निगरानी की गई थी.
5000 लोगों को किया गया इसमें शामिल
तेल अवीव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने करीब 5,000 इजरायलियों को इसमें शामिल किया. उन्होंने उन सभी के हाथों में स्मार्टवॉच पहनाई और दो साल तक उनके शरीर में होने वाले बदलावों की निगरानी की. जिन लोगों की निगरानी की गई, उनमें से 2,038 को COVID-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज दी गई. इसके बाद रिसर्चर्स ने उन लोगों की निगरानी की. इसके अलावा वैक्सीन लेने से पहले और बाद में उनमें जो बदलाव आए उनकी तुलना की गई. इन सभी उपायों को करने के बाद ही शोधकर्ताओं ने बूस्टर डोज को ये हरी झंडी दी.
कैसे की गई स्मार्टवॉच से जांच?
तेल अवीव यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेन यामिन ने कहा, "स्मार्टवॉच का उपयोग हृदय गति, हृदय गतिविधि में भिन्नता, नींद की गुणवत्ता, दैनिक कदमों की संख्या और अन्य जैसे कई मानकों की निगरानी के लिए किया गया था." इतना ही नहीं बल्कि टीम ने गुमनाम रूप से मैकाबी हेल्थ सर्विसेज के 250,000 सदस्यों की मेडिकल फाइलों का भी विश्लेषण किया और उसके बाद बूस्टर डोज की सुरक्षा की भी जांच की.
तीन तरीकों से वैक्सीन की सुरक्षा की जांच की गई. इसमें प्रतिभागी क्या रिपोर्ट करता है, स्मार्टवॉच क्या पता लगाती है, और क्लिनिकली डॉक्टर किस तरह से निदान करता है.
भारत में लॉन्च हो गई है नेजल वैक्सीन
गौैरतलब है कि भारत ने कोविड-19 के लिए दुनिया की पहली नेजल वैक्सीन लॉन्च कर दी है. 23 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसे मंजूरी दी गई थी. ये डोज 18 साल से ऊपर से लोगों को दी जा सकेगी. इस सबसे पहले प्राइवेट सेंटर्स पर उपलब्ध करवाया जाएगा.