Omicron Testing Kit: दुनियाभर में कोरोना वायरस ने दोबारा अपने पांव पसारना शुरू कर दिए हैं. आए दिन ओमिक्रॉन के केस बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में शोधकर्ता इस पर रिसर्च करने में लगे हुए हैं ताकि जल्द से जल्द इसके नेचर को समझकर उस पर परीक्षण किया जा सके. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), दिल्ली के कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 के Omicron (B.1.1.1.529.1) वैरिएंट के विशिष्ट पता लगाने के लिए RT-PCR आधारित एक परख विकसित की है.
90 मिनट में लग सकेगा पता
हाल में कोविड-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट (omicron variant) की पहचान जीनोम सीक्वेसिंग के जरिए की जाती है, जिसमें लगभग तीन दिन का समय लगता है. मगर अब आरटी-पीसीआर आधारित परख (RT-PCR based assay)की मदद से इस टेस्ट को 90 मिनट में किया जा सकेगा.
शोधकर्ताओं द्वारा बनाई गई यह परख उन स्पेसफिक म्यूटेशन का पता लगाने में सक्षम होगी,जो ओमाइक्रोन वैरिएंट में मौजूद होते है और वर्तमान में SARS-CoV-2 के दूसरे वेरिएंट में मौजूद नहीं होते. संस्थान ने अपने कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज द्वारा विकसित रैपिड स्क्रीनिंग परख के लिए एक भारतीय पेटेंट आवेदन दायर किया है और संभावित उद्योग भागीदारों के साथ बातचीत शुरू करने की प्रक्रिया में है.
यूनीक म्यूटेशन को पहचानने में सक्षम
IIT दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "परख विशिष्ट प्रकार के म्यूटेशन्स का पता लगाने पर आधारित है, जो ओमाइक्रोन वैरिएंट में मौजूद हैं और वर्तमान में SARS-CoV -2 के अन्य रूपों में अनुपस्थित हैं. S जीन में इन यूनीक म्यूटेशन्स को लक्षित करने वाले प्राइमर सेट को ओमाइक्रोन के विशिष्ट एम्पलीफिकेशन के लिए डिजाइन किया गया था, जिससे या तो ओमिक्रॉन वैरिएंट या वर्तमान में SARS-CoV-2 के कोई अन्य वेरिएंट का पता लगाया जा सके. साथ ही रियल टाइम पीसीआर का उपयोग करके इसका परीक्षण किया जा सके."
अधिकारी ने आगे कहा,"सिंथेटिक डीएनए फ्रैगमेंट का उपयोग करके एसेज को ओमिक्रॉन वैरिएंट की एक डॉयनेमिक रेंज से वाइल्ड टाइप रेंज को अलग करने के लिए तैयार किया गया है. वर्तमान में दुनियाभर में ओमाइक्रोन के लिए पहचान या स्क्रीनिंग नेक्सट जेनरेशन सीक्वेसिंग के जरिए की जाती है, जिसमें तीन दिन का समय लगता है. इस आरटी-पीसीआर आधारित परख का उपयोग करके, 90 मिनट के भीतर ओमाइक्रोन संस्करण की उपस्थिति के लिए परीक्षण करना संभव होगा,"
परीक्षण की लागत भी होगी कम
आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) भारत का पहला शैक्षणिक संस्थान है, जिसने रियल टाइम पीसीआर-आधारित क्लीनिकल परख के लिए आईसीएमआर की अनुमति प्राप्त की है. संस्थान ने कोविड -19 का पता लगाने के लिए एक विधि विकसित की जिसने परीक्षण की लागत को काफी कम कर दिया, जिससे यह देश में एक बड़ी आबादी के लिए सस्ती हो गई. आईसीएमआर से मंजूरी के बाद किट को सफलतापूर्वक बाजार में उतारा गया.
Omicron संस्करण का पहली बार भारत में पता बेंगलुरु में चला था, जिसमें दो लोगों पॉजिटिव पाए गए थे. ओमिक्रॉन वैरिएंट के देशभर में अब तक 60 से ज्यादा मामले पाए गए हैं.