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बच्चों पर कम प्रभाव डालेगा Omicron वेरिएंट! पीजीआई डायरेक्टर का दावा

बच्चों में जो एंटीबॉडी है वो नेचुरल है. उनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा एंटीबॉडी पाई गई है. यही वजह है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट बच्चों में ज्यादा सीवियर इंफेक्शन नहीं कर पाएगा. इसके लिए यूपी में पहले से ही पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट (Pediatric Department) और आईसीयू (ICU) को अलर्ट मोड पर रखा गया है.

Omicron effect on kids Omicron effect on kids
हाइलाइट्स
  • बच्चों पर पड़ेगा काम प्रभाव

  • डेल्टा वेरिएंट से कम घातक है ओमिक्रॉन

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट को देखते हुए देश और दुनिया में डर का माहौल बना हुआ है.  इससे बचने के लिए प्रशासन द्वारा अलग-अलग प्रयास किये जा रहे हैं. सरकार लगातार बच्चों को लेकर भी फिक्रमंद नजर आ रही है कि कहीं वायरस का प्रकोप बच्चों पर ना पड़े. इन सबके बीच एक राहत की खबर सामने आई है. लखनऊ के एसजीपीजीआई के डायरेक्टर ने कहा है कि ये नया वेरिएंट बच्चों पर ज्यादा प्रभाव नहीं डालेगा. हालांकि, इसके लिए यूपी में पहले से ही पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट (Pediatric Department) और आईसीयू (ICU) को अलर्ट मोड पर रखा गया है.

बच्चों पर पड़ेगा काम प्रभाव 

पीजीआई के डायरेक्टर आरके धीमान बच्चों में इस वेरिएंट के असर के बारे में बताते हैं कि इसका उनपर कम प्रभाव पड़ेगा. वे कहते हैं, “जहां तक बच्चों में इस वेरिएंट के प्रकोप को लेकर बात है, तो इसक बच्चों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि बच्चों की नेचुरल इम्यूनिटी एडल्ट लोगों की इम्यूनिटी के बराबर पाई गई है. इसका मतलब है कि बच्चों में जो एंटीबॉडी है वो नेचुरल है. उनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा एंटीबॉडी पाई गई है. यही वजह है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट बच्चों में ज्यादा सीवियर इंफेक्शन नहीं कर पाएगा.”

वे आगे कहते हैं कि बच्चों में भी इसका असर वैसा ही होगा जैसी वायरल इलनेस में होता है. मेरा मानना है कि  ओमिक्रॉन वायरस से बीमारी होने की आशंका तो है लेकिन कोई भी सीवियर डिजीज इससे नहीं होगी. 

डेल्टा वेरिएंट से कम घातक है ओमिक्रॉन 

डायरेक्टर आरके धीमान का कहना है कि कोरोना का नया वेरिएंट, ओमिक्रॉन पिछले वेरिएंट डेल्टा के मुकाबले कम घातक है यानि यह कम लीथल है और कम सीवियर डिजीज करता है. वे कहते हैं, “इससे संक्रमित होने पर लोग ज्यादा सीरियस नहीं होंगे, वेंटिलेटरों की आवश्यकता कम पड़ेगी और इससे मरने वालों की संख्या भी कम होगी.” 

पीजीआई डायरेक्टर आगे बताते हैं कि जिन लोगों में पहले से बीमारी है, जैसे- लीवर और किडनी फेलियर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन या ओबीसिटी वालों पर इस वेरिएंट का प्रभाव कैसा होगा ये आने वाले दो-तीन हफ्तों में पता चल जाएगा. 

(सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)

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