ऑफिशियल डाटा और एक न्यूज एजेंसी की गिनती के अनुसार, शुक्रवार को महामारी की शुरुआत के बाद से दुनिया भर में पंजीकृत कोविड -19 की कुल संख्या 30 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई. शुक्रवार को 15:45 GMT पर अभी तक रजिस्टर्ड कोविड मामलों की संख्या 300,042,439 थी, जिसमें चीन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यालय द्वारा पहली बार दिसंबर 2019 के अंत में इस बीमारी के फैलने की घोषणा से लेकर कल तक के मामले शामिल हैं. पिछले साल के अंत से तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट, जो पहली बार बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था, के कारण इन मामलों की संख्या बढ़ रही है. तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण, कई देश कोविड मामलों की रिकॉर्ड संख्या रिपोर्ट कर रहे हैं.
कई देशों में दर्ज हुए हैं रिकॉर्ड मामले
पिछले एक सप्ताह में दुनिया भर में वायरस के 1.35 करोड़ से अधिक मामलों का पता चला है. दरअसल पिछले सात दिनों में कोरोना के मामलों की संख्या में 64 प्रतिशत की भारी वृद्धि और औसतन प्रति दिन 1,938,395 नए संक्रमण देखने को मिले हैं. कुल 34 देशों ने रिकॉर्ड साप्ताहिक मामले दर्ज किए हैं. उनमें से अठारह यूरोप में, सात अफ्रीका में और छह लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में हैं. ऑस्ट्रेलिया की तरह अमेरिका और कनाडा ने भी रिकॉर्ड संख्या देखी है. पिछले सात दिनों में साइप्रस में प्रति 100,000 निवासियों पर 3,468 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि आयरलैंड के लिए दर 2,840 है. ग्रीस में यह दर 2,415 है जबकि डेनमार्क में यह आंकड़ा 2,362 और फ्रांस में 2,137 है.
मृत्यु दर पर नहीं पड़ा कुछ ख़ास असर
इन देशों की लिस्ट में ऑस्ट्रेलिया 12वें स्थान पर है, जिसमें पिछले एक सप्ताह में प्रति 100,000 लोगों पर 1,361 मामले आए हैं. हालांकि, कोविड प्रसार की तेजी, अब तक, मृत्यु दर में वृद्धि में नहीं बदली है. वास्तव में पिछले सात दिनों में होनी वाली मृत्यु का दैनिक वैश्विक औसत, 6,172 है जो पिछले सप्ताह की तुलना में तीन प्रतिशत कम है. ओमिक्रॉन को अब कोविड -19 के पिछले रूपों की तुलना में कहीं अधिक संक्रामक माना जाता है, लेकिन यह पुराने वेरिएंट्स की तुलना में कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. न्यूज एजेंसी द्वारा जुटाए गए आंकड़े राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों की दैनिक रिपोर्टों पर आधारित हैं. कई देशों में गहन जांच के बावजूद कम गंभीर या एसिम्पटोमेटिक मामलों का एक महत्वपूर्ण अनुपात ज्ञात नहीं रहता है. इसके अलावा, अलग-अलग देशों में परीक्षण नीतियां अलग-अलग होती हैं.