कोविड के मामले दोबारा से आने शुरू हो गए हैं. देश के कई हिस्सों से हमें नए केसों के बढ़ने की जानकारी मिली. कोरोना पर लगातार कई अध्ययन भी हो रहे हैं. अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि इसे डायबिटीज के नए मामलों से भी जोड़ा जा सकता है. हमारे जीवन पर पहली बार आक्रमण करने के लगभग तीन साल बाद तक कोरोनावायरस का प्रभाव दुनिया पर लगातार हावी हो रहा है.
क्या मिला अध्ययन में
वैंकूवर में ब्रिटिश कोलंबिया सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और सेंट पॉल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 संक्रमण से नए मधुमेह के मामलों के संबंध की पहचान करने के लिए एक प्रमुख अध्ययन किया है. अध्ययन से पता चला कि SARS-CoV-2 संक्रमण diabetes के उच्च जोखिम से जुड़ा था. मधुमेह पहले से ही अधिक गंभीर COVID-19 श्वसन परिणामों से जुड़े एक जोखिम कारक के रूप में स्थापित किया गया है. SARS-CoV-2 संक्रमण पहले से मौजूद मधुमेह के लक्षणों के बिगड़ने से जुड़ा था.
शोधकर्ताओं ने 6,29,935 व्यक्तियों का विश्लेषण किया, जिनका कोविड टेस्ट पॉजिटिव पाया गया था और उनमें मधुमेह विकसित होने की अधिक संभावना थी. टीम ने ब्रिटिश कोलंबिया कोविड-19 कोहोर्ट का विश्लेषण किया, जोकि एक निगरानी मंच है जो कोविड संक्रमण और टीकाकरण के डेटा को जोड़ता है.
हर 20 में से एक व्यक्ति हुआ प्रभावित
अध्ययन से पता चला कि जिन लोगों में कोविड-19 का पता चला था, उनमें टाइप 1 या टाइप 2 मधुमेह होने का अधिक जोखिम था. वहीं 3 से 5% नए मधुमेह के मामले समग्र रूप से कोविड के कारण थे." इस अध्ययन में, SARS-CoV-2 संक्रमण मधुमेह के उच्च जोखिम से जुड़ा था और जनसंख्या स्तर पर मधुमेह के 3% से 5% अतिरिक्त बोझ में योगदान दे सकता.'' इसका मतलब ये है कि हर 20 में से एक व्यक्ति को कोविड की वजह से डायबिटीज हुआ है.
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नवीद जंजुआ ने द गार्जियन को बताया, "इसे कहने का एक और तरीका यह है कि मधुमेह वाले 100 लोगों में से 3से 5% Sars-CoV-2 संक्रमण से संबंधित हैं." शोधकर्ताओं ने लंबे समय से संकेत दिया है कि जहां SRS-CoV-2 वायरस मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, वहीं अन्य अंग प्रणालियां भी प्रभावित हो सकती हैं, जिसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं.