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सितंबर से नवंबर तक के मौसम में तेजी से फैलती हैं डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां, दिल्ली के अस्पतालों को जारी हुए ये निर्देश

इस मौसम में डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां फैलने लगती हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं. अब इसीलिए सभी अस्पतालों को 10 से 15 फीसदी बेड्स वेक्टर जनित बिमारियों के रोगियों के लिए आरक्षित करने के निर्देश दिए हैं.

दिल्ली के अस्पतालों को जारी हुए निर्देश दिल्ली के अस्पतालों को जारी हुए निर्देश
हाइलाइट्स
  • हर साल डेंगू के वायरस पर होती है स्टडी 

  • दिल्ली सरकार ने किए थे बेड आरक्षित

दिल्ली में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहें हैं. साथ ही OPD में भी फीवर के मामले तेजी बढ़ रहें हैं. रोजाना 100 मरीज ऐसे आ रहें हैं जिन्हें फीवर है और इनमें ज्यादातर डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीज हैं. सेंट्रल दिल्ली के LNJP अस्पताल में फीवर वार्ड बनाया गया है. फीवर वार्ड्स को ICU वार्ड के नजदीक बनाया गया है ताकि मल्टी ऑर्गन से पीड़ित है या डेंगू सिन्ड्रॉम है तो ICU बेड्स में तुरंत भर्ती कर सकते हैं. ऐसे मरीज जिनकी प्लेटलेट्स 50 हजार से ज्यादा है उन्हें OPD से ट्रीट किया जाएगा. 

LNJP अस्पताल प्रशासन ने डेंगू के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि पहले रोजाना डेंगू के 1 से 2 मरीज भर्ती होते थे लेकिन पिछले एक हफ्ते में डेंगू के मामले डबल हो गए हैं.

दिल्ली सरकार ने दिए निर्देश 

दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों को 10 से 15 फीसदी बेड्स वेक्टर जनित बिमारियों के रोगियों के लिए खास तौर पर डेंगू के मरीजों के लिए बेड्स आरक्षित करने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार जिन सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड आरक्षित हैं. निर्देशों में कहा गया कि अस्पताल उन बेड्स का इस्तेमाल डेंगू या अन्य वेक्टर जनित मरीजों के लिए करें क्योंकि दिल्ली में कोरोना के मामले बेहद कम आ रहे है ऐसे में जरूरत पड़ने पर इन खाली बेड्स का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा. 

प्रदूषण से मच्छरों पर पड़ता है असर?

क्या मच्छरों की ब्रीडिंग तापमान गिरने के साथ और प्रदूषण बढ़ने के साथ कम होने लगती है? इस सवाल के जवाब में LNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ  सुरेश ने बताया कि एक स्टडी के मुताबिक सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में तापमान 20 से 35 डिग्री के बीच होता है और इस तापमान में डेंगू मच्छर का लारवा तेजी से पनपता है. आगे डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि क्लाइमेट तेजी से बदल रहा हैं. पिछले कई दशकों के बाद दिवाली से पहले अक्टूबर के महीने में बारिश हुई है. और ऐसी स्तिथि में पानी जमा होने की वजह से मच्छरों की ब्रीडिंग भी ज्यादा होती है. ऐसे में संभावना है कि डेंगू मामलों की संख्या बढ़ सकती है. 

हर साल डेंगू के वायरस पर होती है स्टडी 

डेंगू के वायरस को समझने के लिए LNJP हॉस्पिटल स्टडी कर रहा है. डॉ सुरेश कुमार के मुताबिक डेंगू के चार वायरस होते हैं और हर साल डेंगू के वायरस पर स्टडी भी की जाती है. LNJP अस्पताल सैंपल भेजकर नए डेंगू वायरस पर स्टडी भी कर रहा है जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आएगी. स्टडी में जाँच की जाती है कि जिन मरीज़ो को डेंगू हुआ उन्हें वायरस ने किस तरह अटैक किया है.

डॉक्टर ने बताया कि ज्यादातर डेंगू मरीजों को हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत नहीं पड़ती है, 95% मरीज OPD से ट्रीट हो जाते हैं. ऐसे मरीज जिन्हें नाक या मुंह से खून निकल रहा है और बल्ड प्रेशर की शिकायत है तो हॉस्पिटल में भर्ती कर इलाज जरूरी हो जाता है. साथ ही, बच्चों को उल्टी दस्त की शिकायत होने पर या प्लेटलेट्स की संख्या 20 हजार से कम होने पर हॉस्पिटल में भर्ती किया जाता है.

दिल्ली सरकार ने किए थे बेड आरक्षित

दरअसल दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कोरोना के लिए लगभग 8800 बेड्स आरक्षित किए गए थे, लेकिन दिल्ली में कोरोना के मामले बेहद कम आ रहे हैं. वर्तमान में आरक्षित बेड्स के 1% से भी कम बेड्स उपयोग में आ रहे हैं. ऐसे में सरकार द्वारा अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि इन बेड्स का उपयोग वेक्टर जनित बिमारियों के रोगियों के लिए किया जाए जिससे मरीजों के इलाज में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.