भारत में कैंसर मरजों को डायग्नोसिस यानी निदान और ट्रीटमेंट से जुड़ी गाइडेंस और सलाह देने के लिए दिल्ली के कुछ ऑन्कोलॉजिस्ट ने एक कैंसर मुक्त भारत अभियान पहल शुरू की है. इन डॉक्टरों ने एक हेल्पलाइन नंबर, 9355520202, देशभर में जारी किया है ताकि कोई भी उनसे कॉल करके बिना किसी फीस के जानकारी ले सके. उनका विश्वास है कि यह पहल कैंसर के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर साबित होगी.
वीडियो कॉल की भी होगी सुविधा
यह हेल्पलाइन सोमवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चालू रहेगी. कैंसर के मरीज यहां कॉल करके ऑन्कोलॉजिस्ट से सीधे बात कर सकते हैं या बिना किसी फीस के अपने इलाज के बारे में वीडियो कॉल करके भी चर्चा कर सकते हैं. इस पहल को शुरू करने में डॉ. आशीष गुप्ता का अहम रोल रहा है. उन्होंने न्यूयॉर्क के रोसवेल पार्क कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर में मेडिकल ऑन्कोलॉजी और हेमेटोलॉजी में अपनी ट्रेनिंग पूरी की है.
उनका कहना है कि अगर ट्रीटमेंट के बावजूद मरीज की स्थिति में सुधार नहीं होता है या उन्हें डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट के बारे में संदेह है तो दूसरी राय लेना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. साथ ही, कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए, खर्च ज्यादा हो सकता है और अलग-अलग अस्पतालों में अलग-अलग हो सकता है. इसलिए, इलाज का खर्च भी एक वजह है कि आप दूसरी राय लें.
कैंसर के बारे में बढ़ रही है जागरूकता
यह हेल्पलाइन कैंसर से जूझ रहे मरीजों और उनके परिवार के लिए एक मूल्यवान संसाधन है. निःशुल्क सेकेंड ओपिनियन हेल्पलाइन यह सुनिश्चित करेगी कि मरीजों को उनकी स्थिति और ट्रीटमेंट के विकल्पों के बारे में सही, उचित और लेटेस्ट जानकारी मिले. भारत में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं और यहां स्वास्थ्य सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी है.
हालांकि, कैंसर के बारे में अब जागरूकता बढ़ रही है. ट्रीटमेंट के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहे हैं, जहां नई दवाएं और लेटेस्ट ट्रीटमेंट सामने आ रहे हैं और ऐसे में जरूरी है कि आप अलग-अलग जगह से ओपिनियन लें ताकि आपको बेस्ट ट्रीटमेंट मिल सके. इस हेल्पलाइन को चलाने वाले ऑन्कोलॉजिस्ट की टीम ने कहा कि निरंतर रिसर्च के साथ, उन्होंने कैंसर केयर में प्रगति देखी है जो कुछ साल पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था.
हेल्पलाइन यह सुनिश्चित करेगी कि मरीज़ इन एडवांस तकनीकों का लाभ उठा सकें और आज जो भी अच्छा ट्रीटमेंट उपलब्ध है उसके बारे में अपडेट ले सकें. इस अभियान में डॉ. रघुनंदन राव, डॉ. स्वाति मित्तल, डॉ. रविंदर बैंसला, डॉ. कुश गुप्ता, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. संजीव कुमार, और डॉ. रवि गुप्ता अपना योगदान दे रहे हैं.