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गरीब मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच के लिए दिल्ली सरकार ने शुरू की Doctors on Wheels योजना...जानिए क्या है ये सुविधा

नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा के लिए 'डॉक्टर ऑन व्हील्स' योजना शुरू की जाएगी. इस दौरान बच्चों के लिए मोबाइल क्रेच उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि उन्हें आधुनिक सेवाओं के साथ बेहतर डे-केयर सुविधाएं मिल सकें.

Construction site workers (Representative Image/ PTI) Construction site workers (Representative Image/ PTI)
हाइलाइट्स
  • गरीब बच्चों को मिलती है छात्रवृत्ति

  • बच्चों के लिए मोबाइल क्रेच उपलब्ध कराए जाएंगे

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में निर्माण श्रमिकों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है. इसमें निर्माण स्थलों पर मोबाइल स्वास्थ्य जांच और क्रेच सुविधाएं शामिल हैं. नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा के लिए Doctor on Wheels(डॉक्टर ऑन व्हील्स) योजना शुरू की जाएगी. वहीं बच्चों के लिए क्रेच सुविधा लॉन्च की जाएगी. 

क्या है योजना और कैसे करेगी काम?
इन दो नई योजनाओं की घोषणा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को दिल्ली भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता के बाद की. यह दो अलग-अलग योजनाओं का रूप लेगा. पहली 'डॉक्टर्स ऑन व्हील्स' योजना है जिसका उद्देश्य निर्माण स्थलों पर श्रमिकों की नियमित जांच की सुविधा प्रदान करना है. योजना के तहत निर्माण श्रमिकों की नियमित जांच के लिए विभिन्न निर्माण स्थलों का दौरा करने के लिए हर जिले में मोबाइल वैन की व्यवस्था के साथ-साथ हर जिले में चिकित्सा जांच शिविर आयोजित करने का प्रस्ताव है.

दूसरी योजना निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए कार्यस्थलों पर मोबाइल क्रेच शुरू करने की है. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जिनके पास श्रम मंत्रालय का प्रभार भी है ने कहा, निर्माण श्रमिकों के लिए केजरीवाल सरकार की 'डॉक्टर ऑन व्हील्स' योजना निर्माण स्थलों पर श्रमिकों की नियमित जांच की सुविधा प्रदान करेगी. सरकार निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए साइटों पर यूनीक मोबाइल क्रेच लॉन्च करेगी. बच्चों को अब आधुनिक सेवाओं के साथ बेहतर डे-केयर सुविधाएं मिलेंगी. कोविड और प्रदूषण के कारण रुके हुए निर्माण के बावजूद, सरकार ने निर्माण श्रमिकों को 600 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता प्रदान करके समर्थन किया. सरकार निर्माण श्रमिकों के लिए 17 कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, जिसमें पिछले साल उन्हें 13 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई थी.”

गरीब बच्चों को मिलती है छात्रवृत्ति
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि 2020 में पहली कोविड लहर के दौरान बोर्ड के साथ पंजीकृत 1.18 लाख निर्माण श्रमिकों को सहायता के रूप में 10,000 रुपये प्रति व्यक्ति, 118 करोड़ रुपये की राशि दी गई थी. उन्होंने बताया कि 2021 में दूसरी लहर के दौरान, 3.17 लाख निर्माण श्रमिकों को 158 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई थी. वहीं 2021 के अंत में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के कारण निर्माण रुके होने पर 6.17 लाख निर्माण श्रमिकों को 309 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई थी. अधिकारियों ने जानकारी दी कि सरकार निर्माण श्रमिकों के बच्चों को छात्रवृत्ति भी प्रदान करती है. इसके लिए कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को 6,000 रुपये, कक्षा 9 से 10 तक के छात्रों को 8,400 रुपये और कक्षा 11 से 12 के छात्रों को 12,000 रुपये दिए जाते हैं.