राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में अचानक से सेल्फ टेस्टिंग किट की डिमांड बहुत बढ़ गई है. दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच आरटीपीसीआर टेस्ट से बचने के लिए लोग सेल्फ टेस्टिंग किट का तेजी से इस्तेमाल कर रहे है. दिल्ली में रोजाना लगभग 5 से 10 हजार किट की बिक्री हो रही है. दिल्ली रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन केमिस्ट अलायंस के प्रेसिडेंट संदीप नांगिया के मुताबिक दिसम्बर महीने के आखिरी हफ्ते में किट को लोग पूछने भी नहीं आते थे लेकिन पिछले एक हफ्ते में ये रोज हजारों की संख्या में बिक रहीं हैं.
अस्पताल जाने से कतरा रहें हैं लोग
मेडिकल स्टोर पर इन किटों को खरीदने आए लोगों की मानें तो पिछले दो हफ्ते से कोरोना बहुत तेजी से फैल रहा है और लोग अस्पतालों में जाने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि लोग हल्के लक्षण होने पर अपने और अपने पूरे परिवार के लोगों के लिए इस किट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसकी एक दूसरी वजह यह भी है कि पिछले कई दिनों से कोरोना के मामले बहुत तेजी से बढ़ने के कारण लैब्स में टेस्टिंग के लिए 24 से 48 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है. संदीप के मुताबिक अभी तीन कंपनियां सेल्फ किट तीन कंपनी बना रही हैं. दो कंपनियों ने इसकी कीमत 250 रुपये और 320 रुपये रखी है.
दफ्तरों में इन किटों का धड़ल्ले से हो रहा इस्तेमाल
संदीप के मुताबिक इसकी बिक्री में ज्यादातर हिस्सा प्राइवेट दफ्तरों का है. लोग अपने स्टाफ के लोगों के इस्तेमाल के लिए ये किट लेकर जा रहे हैं. इसके साथ ही पॉश एरिया ओर मिडल क्लास लोग इस किट का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. डिस्ट्रीब्यूटर्स की मानें तो ये टेस्ट किट महज 15 मिनट में रिजल्ट दिखा देते हैं. हालांकि सेल्फ टेस्टिंग किट डॉक्टर और सरकार दोनों के लिए लगातार परेशानियां बढ़ाता जा रहा है. आई एम ए के डॉक्टर डॉ अनिल गोयल की मानें तो सेल्फ टेस्टिंग किट का इस्तेमाल करना बेहद खतरनाक हो सकता है.
आईसीएमआर में रजिस्टर नहीं होता ये डाटा
डॉक्टरों की चिंता का सबसे पहला कारण लोगों का इसे इस्तेमाल करने का गलत तरीका है. कई बार इसमें फॉल्स नेगेटिव भी आता है जिससे मरीज की जान को खतरा हो सकता है. दूसरी ओर डॉक्टरों का कहना है कि इस टेस्टिंग किट का डाटा आईसीएमआर में रजिस्टर नहीं होता है. डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास कई ऐसे मरीज आते हैं जो होम किट के जरिए पॉजिटिव पाए जाते हैं लेकिन डॉक्टरों के पास उनका कोई डाटा नहीं होता. ऐसे में यह लोग सुपर स्प्रेडर हो सकते हैं. डॉ अनिल गोयल की मानें तो लोग होम क्वारंटीन से डरते है. इसलिए ये लोग अपने कोविड स्टेटस को छुपाते हैं. ये मरीज अपने घर में बच्चों, बुजुर्गों को इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी संक्रमित कर रहे हैं जो एक बड़ी चिंता का विषय है.
रोशन मेहरा की रिपोर्ट