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भारत में 197% तक बढ़ सकते हैं डिमेंशिया के मामले, महिलाओं को है ज्यादा खतरा: स्टडी

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान न करना, शराब के हानिकारक उपयोग से बचना, अपने वजन को नियंत्रित करना, स्वस्थ आहार खाना और स्वस्थ ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर के लेवल को कंट्रोल में रखना इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं.

Dimentia Dimentia
हाइलाइट्स
  • इस बीमारी का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है

  • महिलाओं को है डिमेंशिया का ज्यादा खतरा

हाल ही में हुई एक रिसर्च के अनुसार, दुनिया में डिमेंशिया के मामले 2050 तक तीन गुना हो सकते हैं. वहीं भारत में ये मामले 197% तक बढ़ सकते हैं. 2019 में इसका अनुमानित आंकड़ा  57·4 मिलियन था. शोध में कहा गया है कि अनुमान  के अनुसार, यह संख्या साल 2030 में बढ़कर 83·2 मिलियन, 2040 में 116 मिलियन, और 152·8 मिलियन हो सकती है. बता दें ये रिसर्च ‘2050-"द लैंसेट पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित हुई है. भारत में, ये मामले 2050 तक लगभग 1 करोड़ 14 लाख तक पहुंच सकते हैं. 

दरअसल, डिमेंशिया एक ऐसा सिंड्रोम होता है जो किसी व्यक्ति की याददाश्त, सोच, तर्क और निर्णय लेने की शक्ति को खराब कर देता है. डब्ल्यूएचओ के अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 50 मिलियन लोगों को डिमेंशिया है, जिसमें हर साल 10 मिलियन मरीज नए जुड़ रहे हैं.

कौन से कारक हैं जिम्मेदार?

लैंसेट कमीशन की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, शराब की खपत, मस्तिष्क की चोट (TBI) सहित 12 प्रमुख जोखिम कारक, और वायु प्रदूषण वैश्विक डिमेंशिया के 40% मामलों के लिए जिम्मेदार है. अध्ययन में कहा गया है कि इसके लिए  तीन जोखिम कारकों को श्रेय दिया जाता है: हाई बॉडी-मास इंडेक्स, हाई फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज और धूम्रपान.  

भारत में डिमेंशिया  

नेचर में प्रकाशित "चेंजिंग डेमोग्राफी एंड द चैलेंज ऑफ डिमेंशिया इन इंडिया" पेपर में, शोधकर्ताओं ने कहा है कि भारत में, बढ़ती उम्र और घटती प्रजनन दर के कारण ही बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है. 2050 तक, 60 वर्ष की आयु वाले लोगों का कुल जनसंख्या का 19.1% होने का अनुमान है. जनसंख्या की इस उम्र बढ़ने के साथ डिमेंशिया के बढ़ने की भी उम्मीद है. 

रिसर्च के कहा गया है, “भारतीय आबादी में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापा जैसे कारक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.”

महिलाओं में डिमेंशिया  

अध्ययन में कहा गया है कि विश्व स्तर पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं डिमेंशिया से ज्यादा प्रभावित हैं और ये पैटर्न 2050 तक जारी रहेगा. रिसर्च के मुताबिक,  "पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिमेंशिया का प्रसार अधिक है और ये उम्र के साथ बढ़ रहा है. दोनों में 85 वर्ष की आयु तक ये लगभग हर 5 साल में दोगुना हो गया है.साल 2050 में, विश्व स्तर पर पुरुषों में डिमेंशिया 40-69 वर्ष की उम्र वाले लोगों में 0·5% तक, 70-84 वर्ष की आयु के लोगों में 6·5%, और 85 वर्ष की आयु के लोगों में 23.5% होने का अनुमान लगाया गया था.

वहीं महिलाओं में ये 40-69 वर्ष की आयु में 0·6%, 70-84 वर्ष की आयु की महिलाओं में 8·5%, और 85 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में 30·5% होने का अनुमान लगाया गया है. 

डिमेंशिया का इलाज

वर्तमान में, डिमेंशिया नाम की इस बीमारी का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है. उपयोग में आने वाली दवाएं भी एक हद तक ही इसका इलाज करती हैं. इसमें जरूरी है कि रोगियों की अच्छे से देखभाल और उन्हें सहायता प्रदान करने पर अधिक महत्व दिया जाना चाहिए.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान न करना, शराब के हानिकारक उपयोग से बचना, अपने वजन को नियंत्रित करना, स्वस्थ आहार खाना और स्वस्थ ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर के लेवल को कंट्रोल में रखना इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं.