अमेरिका स्थित एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जिन लोगों ने कोविड-19 के लिए पॉजिटिव पाए जाने के बाद सस्ती डायबिटीज की दवा ली, उनमें लंबे समय तक कोविड होने का जोखिम 40 प्रतिशत कम था.
खोज को अभी भी कम समझी जाने वाली स्थिति के खिलाफ लड़ाई में एक संभावित "मील का पत्थर" माना जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि जिन लोगों ने कोविड के दौरान मधुमेह की दवा ली उनमें से 10 लोगों में से एक को ही इसने प्रभावित किया. अध्ययन ने कहा कि यह पहला रेनडमाइज, प्लेसीबो-नियंत्रित चरण 3 परीक्षण था. इसे रिसर्च में गोल्ड स्टैंडर्ड माना जा रहा है. यह दिखाता है कि ड्रग को लंबे समय तक लेने से कोविड को रोका जा सकता है. इसमें मेटफॉर्मिन नामक एक दवा का परीक्षण किया गया, जिसे मूल रूप से फ्रेंच बकाइन फूल से विकसित किया गया था. ये दवा दशकों से दुनिया भर में टाइप 2 मधुमेह के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे आम दवा है. इसका मतलब यह है कि दवा सुरक्षित होने के साथ-साथ सस्ती और व्यापक रूप से उपलब्ध होने के लिए जानी जाती है.
अध्ययन में संयुक्त राज्य अमेरिका में 1,126 अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त लोगों को शामिल किया गया. इनमें से आधों को मेटफॉर्मिन और आधे लोगों को प्लेसिबो प्राप्त हुआ. ये परिक्षण उन लोगों पर किया गया जिनका टेस्ट पॉजिटिव आया था.
क्या पाया गया अध्ययन में?
10 महीनों के बाद, मेटफ़ॉर्मिन लेने वाले प्रतिभागियों में से 35 में लंबे समय तक कोविड का डायग्नोस किया गया, जबकि प्लेसीबो समूह के लिए यह आंकड़ा 58 था, जो जोखिम में 40 प्रतिशत की कमी दर्शाता है. ये पूरा ट्रायल दिसंबर 2020 और जनवरी 2022 के बीच आयोजित किया गया था, इसका अर्थ ये हुआ कि इसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट शामिल था जिसका खुलासा रिसर्च में भी हुआ था कि ये पिछले स्ट्रेन्स की तुलना में कम दर पर लंबे समय तक कोविड का कारण बनता है.
COVID-OUT परीक्षण के पीछे की टीम ने पहले दिखाया था कि मेटफॉर्मिन ने कोरोनोवायरस रोगियों के आपातकालीन विभाग के दौरे, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के जोखिम को 40 प्रतिशत से अधिक कम कर दिया है. मिनेसोटा विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता और नए अध्ययन के प्रमुख लेखक कैरोलिन ब्रैमांटे ने एएफपी को बताया कि "हमारा डेटा बताता है कि मेटफॉर्मिन रोगियों में SARS-CoV-2 वायरस की मात्रा को कम करता है." यह शोध लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल (Lancet Infectious Diseases journal) में प्रकाशित हुआ था.
तो क्या ये कोविड की दवा है
जेरेमी फॉस्ट, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक डॉक्टर, जो अध्ययन में शामिल नहीं थे ने एक लिंक्ड कमेंट पीस में कहा कि अगर पुष्टि की जाती है, तो निष्कर्ष लंबे कोविड के लिए "गहन और संभावित ऐतिहासिक" हैं. किंग्स कॉलेज लंदन में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर फ्रांसिस विलियम्स ने बताया कि 564 लोगों को "23 काल्पनिक मामलों को रोकने के लिए" दवा लेनी पड़ी. इसका मतलब है कि 24 लोगों को लंबे कोविड के एक मामले को रोकने के लिए मेटफॉर्मिन लेने की आवश्यकता होगी." उन्होंने कहा, इस तरह की खराब समझ वाली स्थिति को रोकने के लिए यह बहुत सारी दवाएं थीं.
कई गलत दवाएं हुईं प्रयोग
शोधकर्ताओं ने आगाह किया कि उन्होंने उन लोगों पर मेटफॉर्मिन का परीक्षण नहीं किया, जिन्हें पहले से ही लॉन्ग कोविड का पता चला था, इसलिए निष्कर्षों का मतलब यह नहीं था कि इसका उपयोग स्थिति के इलाज के लिए किया जा सकता है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि एंटीपैरासिटिक ड्रग इवरमेक्टिन, जिसे महामारी के दौरान गलत तरीके से प्रचार किया गया और साथ ही साथ एंटीडिप्रेसेंट ड्रग फ्लूवोक्सामाइन ने भी लंबे समय तक कोविड को नहीं रोका.
क्या रह गए लक्षण
अनुमान लगाया गया है कि लाखों लोगों को लंबे समय तक कोविड हुआ था. इनमें से कुछ के संक्रमण तीन महीने के अंदर चले गए जबकि कुछ को अभी तक खास दिक्कत होती है. सबसे आम लक्षणों में थकान, सांस फूलना और मानसिक स्पष्टता की कमी शामिल है जिसे ब्रेन फॉग कहा जाता है.