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उंगलियों से चेक कर पाएंगे लंग कैंसर है या नहीं! कैसे किया जाता है डायमंड गैप फिंगर टेस्ट?

Diamond gap finger test: डायमंड गैप फिंगर टेस्ट के लिए अपने नाखूनों को आपस में जोड़कर देखें कि क्यूटिकल्स के बीच डायमंड शेप बन रही है या नहीं. अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह उंगलियों के क्लबिंग का संकेत है.

Diamond gap finger test Diamond gap finger test
हाइलाइट्स
  • कैसे किया जाता है Diamond gap finger टेस्ट

  • लंग कैंसर से बचाव

देश में हर साल कैंसर के 15 लाख केस सामने आते हैं. दुनिया में सबसे तेजी से फैल रहे तीन तरह के कैंसर में लंग कैंसर भी एक है. भारत में भी लंग कैंसर के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. लंग कैंसर में लगभग 45% रोगियों को इसके बारे में तब पता चलता है जब यह शरीर के अन्य भागों में फैल चुका होता है. लेकिन अब एक साधारण डायमंड गैप फिंगर टेस्ट के जरिए लंग कैंसर का पता लगाया जा सकता है. 

कैसे किया जाता है ये टेस्ट

डायमंड गैप फिंगर टेस्ट के लिए अपने दोनों हाथों की तर्जनी उंगलियों यानी कटिंग फिंगर्स को एक साथ मिलाकर दिल यानी हार्ट का ऊपरी शेप बनाएं. ऐसा करने के बाद अगर दोनों हाथों के नाखूनों के बीच डायमंड के आकार का स्पेस बनता है तो आप स्वस्थ हैं. अगर ऐसा नहीं होता है तो यह फिंगर क्लबिंग का संकेत हो सकता है. कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, यह लंग कैंसर का एक सामान्य लक्षण है जो 35 प्रतिशत से अधिक रोगियों में दिखाई देता है. खासतौर से फेफड़े या दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे कैंसर या मेसोथेलियोमा के बारे में इससे पता लग सकता है.

फिंगर क्लबिंग क्या होती है

अब आपकी उंगलियां और नाखून गलत तरीके से बदलने लगें तो इस स्थिति को फिंगर क्लबिंग कहा जाता है. यह स्थिति तब शुरू होती है, जब आपके नाखून बहुत सॉफ्ट और उनके चारों तरफ की त्वचा चमकदार होने लगती है. ऐसी स्थिति ब्लड सर्कुलेशन या ट्यूमर द्वारा रिलीज किए गए कैमिकल्स के कारण हो सकती है. फिंगर क्लबिंग उन लोगों को भी हो सकती है जिन्हें दिल की बीमारी है. या फिर सिस्टिक फाइब्रोसिस से जूझ रहे हैं. इसलिए ऐसे मरीजों को यह सलाह दी जाती है कि समय पर टेस्ट करें ताकि इस बीमारी का समय पर निदान किया जा सके.

लंग कैंसर के कारण

फेफड़े के कैंसर के अधिकांश मामले धूम्रपान से संबंधित होते हैं, हालांकि कई मामलों में यह प्रदूषण और जेनेटिक यानी अनुवांशिक भी हो सकता है. लंग कैंसर के 40 फीसदी ऐसे मामले हैं जो टोबैको रिलेटेड कैंसर (टीआरसी) यानी तंबाकू के सेवन की वजह से होते हैं. तंबाकू कैंसर के लिए जिम्मेदार कारकों में सबसे अहम है. 

लंग कैंसर से बचाव

भारत में हर साल फेफड़ों के कैंसर के लगभग 55 हजार मामले सामने आते हैं. इसमें और भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इनमें से 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है, जबकि सिर्फ 5 हजार लोगों को ही बचाया जाता है. धूम्रपान से दूरी, पौष्टिक आहार, योग व्यायाम, प्रदूषण से दूरी, विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन से लंग कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है.