
कभी ऐसा महसूस हुआ है कि आप जो कुछ भी हासिल कर रहे हैं, वह सिर्फ किस्मत का खेल है? क्या आपको डर लगता है कि लोग आपको "बेवकूफ" या "नकली" न समझ लें? क्या आप अपनी सफलता को अपने मेहनत का नतीजा मानने के बजाय संयोग मानते हैं? अगर हां, तो आप 'इम्पोस्टर सिंड्रोम' (Imposter Syndrome) के शिकार हो सकते हैं!
क्या है इम्पोस्टर सिंड्रोम?
इम्पोस्टर सिंड्रोम एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपनी उपलब्धियों को स्वीकार नहीं कर पाता. उसे लगता है कि वह अपनी सफलता के काबिल नहीं है और एक न एक दिन सबको पता चल जाएगा कि वह "धोखाधड़ी" कर रहा था.
1957 में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट पॉलिन क्लैंस और सूज़न इम्स ने इस सिंड्रोम की पहचान की थी. इसे अक्सर हाई-परफॉर्मिंग प्रोफेशनल्स, स्टूडेंट्स, क्रिएटिव फील्ड के लोगों और नए जॉब जॉइन करने वालों में देखा जाता है.
इम्पोस्टर सिंड्रोम के लक्षण
अगर आपके अंदर ये लक्षण हैं, तो आपको इम्पोस्टर सिंड्रोम हो सकता है:
इम्पोस्टर सिंड्रोम किन लोगों को ज्यादा होता है?
इम्पोस्टर सिंड्रोम से कैसे निपटें?
1. अपनी उपलब्धियों को पहचानें
अपने अचीवमेंट्स को एक डायरी में लिखें. जब भी खुद पर संदेह हो, इसे पढ़ें और याद करें कि ये सब आपकी मेहनत का नतीजा है.
2. अपनी तुलना दूसरों से करना बंद करें
सोशल मीडिया या अपने ऑफिस के लोगों से खुद को कम आंकने की आदत छोड़ें. हर किसी का सफर अलग होता है.
3. अपनी सोच बदलें- "मैंने किया, इसलिए सफल हुआ!"
जब भी आपको लगे कि आपकी सफलता किस्मत या बाहरी कारणों से हुई है, तो खुद से कहें- "मैंने मेहनत की, इसलिए सफल हुआ!"
4. परफेक्शनिस्ट बनने की कोशिश छोड़ें
100% परफेक्शन की चाहत आपको परेशान कर सकती है. गलतियां इंसान से ही होती हैं. "Done is better than perfect!"
5. खुद की तुलना पहले वाले 'खुद' से करें
अगर आपको खुद की तुलना करनी ही है, तो यह देखें कि आप एक साल पहले कहां थे और आज कहां हैं.
6. पॉजिटिव लोगों के साथ रहें
ऐसे लोगों से मिलें जो आपको प्रोत्साहित करें, न कि ऐसे जो आपको नीचे गिराने की कोशिश करें.
7. असफलता को सीखने का मौका समझें
अगर कोई गलती हो भी गई, तो खुद को कोसने के बजाय सोचें – "इससे मैंने क्या सीखा?"
8. थेरेपिस्ट से बात करें
अगर इम्पोस्टर सिंड्रोम बहुत ज्यादा असर डाल रहा है, तो किसी मनोचिकित्सक (Therapist) से मिलें.
सफल लोगों ने भी झेला है इम्पोस्टर सिंड्रोम!
इम्पोस्टर सिंड्रोम से बाहर आने का सबसे पहला कदम यह मानना है कि यह एक सामान्य चीज है और इससे हर कोई कभी न कभी गुजरता है. अपने डर को हावी न होने दें और हर छोटी-बड़ी सफलता को स्वीकार करें. याद रखें आप जहां हैं, वहां अपनी मेहनत और टैलेंट की वजह से हैं, न कि सिर्फ किस्मत से!