दिल्ली के रोहिणी में राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट और रिसर्च सेंटर (RGCIRC) के डॉक्टरों की एक टीम ने पहले स्वदेशी सर्जिकल रोबोट, मंत्रा का इस्तेमाल करके पहली बार टेलीसर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. इस सिस्टम के लिए, फाइबर-ऑप्टिक केबल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि डॉक्टर और रोबोट के बीच एक रिलायबल कनेक्शन जरूरी था, जो एक दूसरे से 40 किमी दूरी पर थे. एक घंटे और 45 मिनट तक चलने वाली सर्जिकल प्रोसेस को गुड़गांव से किया गया, जिसमें सर्जन ने एक कंसोल के माध्यम से रोबोटिक उपकरणों को नियंत्रित किया.
इस बीच, मरीज आरजीसीआईआरसी में ही रहा और पूरे ऑपरेशन के दौरान अस्पताल में मौजूद स्थानीय मेडिकल स्टाफ से उसकी देखभाल की गई. डॉक्टरों का दावा है कि यह जटिल सर्जरी पहली बार भारत में की गई है. दिल्ली का 52 वर्षीय मरीज यूरीनरी ब्लडर के कैंसर से पीड़ित था और उसका ऑपरेशन सर्जन, डॉ. एसके रावल ने किया था, जो कैंसर संस्थान के चिकित्सा निदेशक भी हैं. रावल ने बताया कि मरीज अब अच्छा कर रहा है.
छोटे शहरों के लिए हैं मददगार
भारत में निर्मित सर्जिकल रोबोट छोटे शहरों और दूरदराज के स्थानों में स्वास्थ्य सेवा पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं. इन रोबोटों के साथ, कुशल सर्जन दूर से काम कर सकते हैं और "सी क्लास के शहरों, युद्ध या अंतरिक्ष" में मरीजों को सफलतापूर्वक हाई-क्वालिटी केयर दे सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के सर्जिकल रोबोट बहुत महंगे हैं, जिससे उन्हें छोटे भारतीय शहरों या कस्बों में तैनात करना असंभव है.
हालांकि, कार्डियक सर्जन डॉ. सुधीर श्रीवास्तव का स्वदेशी सर्जिकल रोबोट इस अंतर को पाटने का अच्छा तरीका है. इन रोबोटों को पहले से वंचित क्षेत्रों में रखकर, एक्सपर्ट सर्जन अपनी पहुंच बढ़ा सकते हैं और बड़ी आबादी के लिए एडवांस्ड सर्जिकल प्रोसेस उपलब्ध करा सकते हैं.