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Doctor to Deputy Speaker: असम के लोगों के लिए नेता से बढ़कर हैं नुमल मोमिन, जरूरत पड़ने पर करते हैं लोगों का मुफ्त इलाज

असम में बीजेपी के नेता नुमल मोमिन बाकी देशवासियों के लिए असम विधानसभा के डिप्टी स्पीकर हैं लेकिन असम के लोगों के लिए एक राजनेता से ज्यादा वह डॉक्टर हैं जो उनकी एक कॉल पर तुरंत मदद के लिए पहुंचता है.

Dr. Numal Momin, Deputy Speaker of the Assam Legislative Assembly (Photo: Wikipedia) Dr. Numal Momin, Deputy Speaker of the Assam Legislative Assembly (Photo: Wikipedia)

असम विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नुमल मोमिन लोगों के लिए एक राजनेता से बढ़कर हैं. मोमिन एक डॉक्टर भी हैं जो हमेशा ट्रेवल के दौरान अपने साथ कुछ दवाएं रखते हैं ताकि कभी भी जरूरत पड़े तो लोगों की मदद कर सकें. मोमिन राजनीति के साथ-साथ अपने डॉक्टर होने के कर्तव्य का भी निर्वहन करने की कोशिश करते हैं. हाल ही में, उनके इस रूप की झलक देखने को मिली जब उन्होंने एक्सीडेंट में घायल लोगों की मदद की. 

समय पर मदद करके बचाई जान
दरअसल, नागालैंड की सीमा से लगे कार्बी आंगलोंग जिले में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र बोकाजन की यात्रा पर निकले मोमिन का काफिला बीच रास्ते में रुक गया. दरअसल, हाइवे पर एक दुर्घटना में टू-व्हीलर और एक कार के बीच टक्कर में एक कपल घायल हो गया. उस समय शाम के करीब 4.30 बजे थे और लोगों को लगा कि यह कपल, खासकर महिला मर गई है. लेकिन जैसे ही मोमिन ने उनकी नब्ज चेक की तो उन्हें पता चला कि वे जिंदा हैं. लेकिन उनकी हालत गंभीर थी. महिला का एक हाथ और एक पैर टूट गया था. 

ऐसे में, उन्होंने सड़क के किनारे बाड़ से बांस की कुछ पट्टियां लीं और अपने गमोसा की मदद से इन्हें टेम्पररी स्प्लिंट के रूप में महिला के हाथ और पैर पर बांधा. इस दंपति को उन्होंने अपनी कार में अस्पताल पहुंचाया. मोमिन की मदद से इस कपल की जान बच गई. 

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नेता के साथ-साथ जिम्मेदार डॉक्टर भी
2016 से मोमिन दो बार बीजेपी विधायक रहे हैं. हालांकि, अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए, वह एक राजनेता से कहीं ज्यादा हैं. उनका निर्वाचन क्षेत्र कम विकसित क्षेत्रों में से एक है. जब भी वह गुवाहाटी से लगभग 290 किमी पूर्व में बोकाजन शहर या अपने पैतृक गांव, डिल्लावजन का दौरा करते हैं, तो लोगों को उनके डॉक्टर होने का भी फायदा होता है. 

बात उनकी जिंदगी की करें तो मोमिन का डॉक्टर बनने का सफर चुनौतियों से भरा था. 1972 में गुवाहाटी में जन्मे, उनका बचपन डिल्लावजन में बीत.। उनके पिता, बिक्रम रैडली मोमिन ने अपने दादा की देखभाल के लिए इंडियन एयरलाइंस में अपनी नौकरी छोड़ दी थी और गुजारा करने के लिए खेती शुरू कर दी थी. साल 1989 में अपने गांव के पास बालीपाथर हाई स्कूल से उन्होंने 10वीं कक्षा और दो साल बाद अपने घर से लगभग 70 किमी दूर दीफू गवर्नमेंट कॉलेज से विज्ञान स्ट्रीम में 12वीं कक्षा पास की. उनकी उच्च शिक्षा के लिए घरवालों के पास पैसे नहीं थे और मोमिन भी खेती में हाथ बंटाते थे. 

रिश्तेदारों की मदद से बने डॉक्टर 
मोमिन की किस्मत 1994 में बदली जब उनके एक रिश्तेदार उन्हें गुवाहाटी ले आए और एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा के लिए दो महीने की कोचिंग क्लास में उनका दाखिला कराया. उनके रिश्तेदार असम के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान कॉटन कॉलेज में पढ़ाते थे. मोमिन ने पूरी मेहनत की और अनुसूचित जनजाति वर्ग में परीक्षा में टॉप किया. उनकी चाची ने अपनी पेंशन से उनकी मेडिकल की पढ़ाई का खर्च उठाया. वह उनके गोरो समुदाय की पहली महिला पीएच.डी. हैं. गौहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में अपनी दो साल की इंटर्नशिप पूरी करने के बाद, मोमिन ने डिब्रूगढ़ में असम मेडिकल कॉलेज (एएमसी) में अपनी एमडी की. 

इससे पहले उन्होंने दिल्ली के दो अस्पतालों में काम किया ताकि पैसे कमा सकें. साल 2006 में अपना एमडी पूरा किया और एएमसी में रजिस्ट्रार के रूप में शामिल होने से पहले शिलांग में उत्तर पूर्वी इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान संस्थान में तीन साल तक काम किया. 2011 तक, वह जीएमसीएच में सहायक प्रोफेसर थे, इस पद से उन्होंने 2016 में भाजपा के टिकट पर बोकाजन सीट से चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था.

राजनीति के बावजूद नहीं छोड़ी मेडिकल लाइन 
अपने चुनाव के बाद से, मोमिन को विधायक के कर्तव्यों को निभाना था लेकिन उन्होंने अपने डॉक्टरी के पशन को नहीं छोड़ी. उन्होंने जीएमसीएच में एक "संपर्क अधिकारी" को नियुक्त किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके निर्वाचन क्षेत्र से रेफर किए गए प्रत्येक मरीज पर विशेष ध्यान दिया जाए. उन्होंने कुछ फार्मेसियों के साथ जरूरतमंद मरीजों को उधार पर दवाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है. 

मोमिन की पत्नी, अनुपमा हाजोंग, एक निजी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं और उनकी सामुदायिक सेवा को सपोर्ट करती हैं. मरीजों की मदद करने का उनका जुनून उनके छात्र जीवन के दौरान ही शुरू हो गया था, जहां उन्होंने रक्तदान शिविरों का आयोजन किया और सेवा भारती के साथ मिलकर एक साल में 26 मुफ्त स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए. उनके आधिकारिक कार्यक्रम और राजनीतिक रैलियां अक्सर "मिनी मेडिकल" में बदल जाती हैं जहां वे हेल्थ चेकअप करते हैं और दवाएं लिखते हैं. मोमिन कहते हैं कि लोग उन पर जो प्यार बरसाते हैं, उसकी तुलना में यह कुछ भी नहीं है.