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Heat Stroke के कारण हो सकता है ब्रेन स्ट्रोक, हर हाल में रखें खुद को हाइड्रेटेड, रिसर्च में हुआ खुलासा

देश के कई इलाकों में तापमान 50 डिग्री के पार चला गया है. बढ़ते तापमान और लू के चलते बहुत से लोगों की तबीयत लगातार बिगड़ रही है. लेकिन अब एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि हीट स्ट्रोक ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है.

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देशभर में चल रही लू के बीच, डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि हीट स्ट्रोक चरम स्थितियों में ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है. खासकर जब बहुत ज्यादा डिहाइड्रेशन हो जाए क्योंकि इसस ब्लड गाढ़ा हो जाता है और बॉडी में सर्कुलेशन बहुत मुश्किल हो जाता है. पिछले हफ्ते, तीन मरीजों को ऐसी जानलेवा स्थिति में PSRI अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 

पीएसआरआई अस्पताल में न्यूरोलॉजी के सीनियर कंस्लटेंट, डॉ. भास्कर शुक्ला के मुताबिक, तीन मरीज़ - दो पुरुष, जिनकी उम्र 90 और 58 वर्ष है, और एक 78 वर्षीय महिला - को स्ट्रोक के लक्षणों के साथ-साथ बोलने में कठिनाई और बांह में कमजोरी आई. साथ ही, डिहाइड्रेशन के लक्षण भी दिखे. 

डिहाइड्रेशन से हो सकती है गंभीर बीमारी 
जब डॉक्टरों ने उनके किडनी फंक्शन पैरामीटर की जांच की, तो पुष्टि हुई कि यह डिहाइड्रेशन के कारण हुआ था. दो मरीजों को छुट्टी दे दी गई है, जबकि महिला अभी भी अस्पताल में भर्ती है और निगरानी में है. चिलचिलाती गर्मी में, जब तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है, तो लोगों को हीट स्ट्रोक होने का खतरा होता है. यह एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें शरीर के तापमान में बढ़ोतरी होती है, जो अक्सर 104°F (40°C) से ज्यादा हो जाता है. डॉक्टरों ने कहा कि हीट स्ट्रोक से सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिस्फंक्शन हो सकता है. जब शरीर का थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम विफल हो जाता है, तो ज्यादा डिहाइड्रेशन होता है, और यह अलार्मिंग है. 

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रिसर्च से पता चला है कि सिर्फ डिहाइड्रेशन होने से शरीर के कई काम प्रभावित होते हैं और एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक के मरीजों में मृत्यु दर बढ़ जाती है, खासकर जिन्हे लार्ज वेसल ब्लॉकोज हो. यह स्ट्रोक का कारण बन सकता है और इसके जोखिम को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है कि आप हाइड्रेटेड रहें. एम्स में न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी का भी कहना है कि गंभीर मामलों में, हीट स्ट्रोक ब्रेन स्ट्रोक को ट्रिगर कर सकता है. 

हो सकते हैं दो तरह के ब्रेन स्ट्रोक 
ज्यादा हीट स्ट्रोक के कारण दो तरह के ब्रेन स्ट्रोक हो सकते हैं. डिहाइड्रेशन और पानी के स्तर में कमी से ब्लड-ब्रेन बैरियर (बीबीबी) में दिक्कत आती है, जिससे हाइपरविस्कोसिटी की स्थिति बन सकती है, जहां ब्लड गाढ़ा हो जाता है और वेसल्स में क्लॉट्स बन जाते हैं. यह स्थिति इस्केमिक स्ट्रोक, साथ ही, वेनस स्ट्रोक को जन्म दे सकती है, जो हेमोरजिक या नॉन-हेमोरजिक हो सकता है. इन स्ट्रोक का जोखिम उन मरीजों के लिए ज्यादा है जिन्हें पहले से ही हाई बीपी, डायबिटीज, स्मोकिंग, शराब का सेवन, मोटापा, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया या कार्डियक कंडिशन जैसी कोई बीमारी है. 

डॉक्टर सलाह देते हैं कि लोगों को अत्यधिक गर्मी के संपर्क से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर उन लोगों को जिन्हें ये हेल्थ प्रॉबल्म्स हैं. हीट स्ट्रोक के बारे में जागरूकता और रोकथाम महत्वपूर्ण है - विशेष रूप से बुजुर्गों, बच्चों और पहले से किसी बीमारी से पीडित लोगों को इससे बचना जरूरी है.